हसदेव नदी को प्रदूषण से बचाने क्या किया, एनजीटी ने मांगी रिपोर्ट
कोरबा। जीवन दायिनी हसदेव नदी के प्रदूषित क्षेत्र के लिए बीते एक साल में क्या-क्या किया इसकी जानकारी एनजीटी ने तलब की है। दरअसल एक साल का समय दिया गया था, लेकिन इस अवधि में खानापूर्ति के ही काम हुए। गिनती के अतिक्रमण टूटे।
हसदेव समेत कई नदी में गंदगी, सीवरेज या प्लांट का गंदा पानी बहाने पर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने कार्रवाई के लिएके लिए निकायों को निर्देशित किया था। कोरबा शहर से उरगा के बीच हसदेव नदी सबसे अधिक प्रदूषित होती है। इसी के दायरे में विभाग ने गंदगी फैलाने वालों को चिन्हित कर कार्रवाई की। साथ ही ऐसे स्त्रोत को नष्ट करना था, ताकि भविष्य में नदी प्रदूषित न हो। जिस तरह विभाग ने खानापूर्ति की इससे स्पष्ट है कि गंभीरता से ध्यान नहीं दिया गया। अगर सही तरीके से जांच होती तो आज नदी साफ होती। नदी के हिस्से में मिलने वाले गंदगी को रोकने के ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं। अन्य निकायों की तुलना में कम कार्रवाई की गई है। कोरबा से उरगा के बीच नदी के किनारे ज्यादा से ज्यादा प्लांटेशन करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन सिर्फ 3150 पौधे ही लग सके। इसमें से ज्यादातर पौधे अब नदारद हैं। नदी के दोनों तरफ एक लाख पौधे लगाने का प्लान तैयार हुआ था। नदी के दायरे में अतिक्रमण हटाने के भी निर्देश दिए गए थे। निगम ने नदी के किनारे सिर्फ गिनती के ही अतिक्रमण को चिन्हित कर कारवाई की है, जबकि नदी के मुहाने में कई बस्तियां तक बस चुकी है।