आज का मनुष्य आधुनिकता में अपनी मूल संस्कृति को भूलता जा रहा है : मंदाकिनी
-विनोद उपाध्याय
कोरबा (हरदीबाजार)। हिंदू संस्कृति में सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक ही सभी धार्मिक अनुष्ठानों को शुभ माना गया है, किंतु आज का मनुष्य आधुनिकता और पश्चिमी सभ्यता को अपना कर अपनी मूल संस्कृति को भूलता जा रहा है। वेदों के अनुसार मनुष्य के जीवन में सभी सोलह संस्कारों को सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही किये जाने का उल्लेख है, किंतु आज का इंसान शादी-ब्याह जैसे मूल संस्कार को सूर्यास्त के बाद रात्रिकालीन में करने लगा है। वही जीवन का सार्थकता, मर्यादा, कर्तव्य, संस्कार, निडरता और सौम्यता केवल और केवल श्री रामचन्द्र के जीवन चरित्र से मिलता है जिसे हम सभी मनुष्य जाति को अपना कर जीवन जीना चाहिए और जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।
उक्त उद्गार हरदीबाजार लीलागर नदी के तट पर स्थित श्रीराम जानकी मंदिर प्रांगण में शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में त्रिबिध कार्यक्रम श्रीराम कथा एवं श्रीराम विवाह, श्रीराम नाम जप एवं लेखन अनुष्ठान में कथा व्यास पीठ से दीदी मां मंदाकिनी श्रीराम किंकर ने कही। ठंड को देखते हुए बुधवार से श्रीराम कथा का समय शाम 4 से 6 बजे तक कर दिया गया है। पहले यह शाम 6 से रात्रि 8 बजे तक था। कथा श्रवण करने प्रथम दिवस पूर्व विधायक बोधराम कंवर, दयाराम कंवर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य मीरा कंवर, प्रमीला कंवर, मदनलाल राठौर, विधायक प्रतिनिधि भैयाराम यादव, इंद्रपाल सिंह कंवर, विजय जायसवाल, श्याम बाई कंवर, चंद्रहास राठौर, कदम यादव, दुर्गेश यादव, पवन शर्मा, विजय अग्रवाल, सुरेश शर्मा, आत्माराम कंवर, रामकुमार यादव, विजय साहू, गजानंद यादव, पदमनी रात्रे, पुरनलाल जायसवाल, संतोष पटेल, राजाराम राठौर एवं पं. योगेश मिश्रा सहित अन्य नागरिक कथा श्रवण कर अपने जीवन को कृतार्थ कर रहे हैं। कथा समाप्ति पश्चात सभी उपस्थित श्रोताओं ने राम नाम खाली खानों में पेश से लिखकर अपनी श्रद्धा श्रीराम के प्रति दीदी मां को भेंट की।