अपना मालिक और गुरु उसे मानना चाहिए, जो हमारे पालन हार और रक्षक हो : पं. प्रेमशंकर
0 उतरदा नावाडीह में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा
-विनोद उपाध्याय
कोरबा (हरदीबाजार)। उतरदा नावाडीह में आयोजित संगीतमय श्रीम्द भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठवें दिन भागवताचार्य पं. प्रेमशंकर चौबे ने कथा विस्तार करते हुए बताया कि भागवान श्री कृष्ण बाल्य अवस्था में बड़े ही नटखट और चंचल थे। वे हमेशा गोपियों को परेशान करते रहते, दही से भरी मटकियों को फोड़ना, मक्खन की चोरी करना, वहीं ग्वालों के साथ खेल खेलना और सभी ग्वालों को हराना। बस यही लीला उन्हीं अच्छी लगती थी, लेकिन वे इन सभी से अथाह प्रेम भी करते थे। गांव या उन पर आई विपदा के सामने हमेशा रक्षक बनके खड़े हो जाते थे।
पं. चौबे ने कथा के दौरान कहा कि प्रत्येक वर्ष गांव के सभी लोग इंद्र देव की पूजा-अर्चना कर भोग लगाते आ रहे, तब भागवान श्री कृष्ण ने गांव वालों से कहा कि आप सभी इंद्र देव की पूजा कर उन्हें भोग लगाते हो उससे अच्छा है कि आप सभी हमारे गायों-बैलों व गांव के जीविकोपार्जन गोपर्धन पर्वत की पूजा करें। जब इसकी जानकारी इंद्र देव को हुई तो उन्होंने अपना अपमान समझा कर गांव में अति वर्षा की। आंधी तूफान व बाढ़ ला दिया, लेकिन श्री कृष्ण अपने भक्तों पर आई विकट विपत्ति को देख गांव के सभी नागरिकों के साथ सभी गायों-बैलों समेत अन्य जीवों की रक्षा के लिए विशाल गोवर्धन पर्वत को चीनी उंगली में उठा लिया और सभी की रक्षा की। जब इसकी जानकारी इंद्र देव को हुई तो वे समझ गए, ये तो साक्षात विष्णुजी हैं। वे प्रणाम कर अपनी गलती स्वीकार कर क्षमा मांगी।
भागवताचार्य पं. प्रेमशंकर महराज के कहने का तात्पर्य यह है कि हमें भागवान की कथा उसकी गाथा उनके स्मरण सदैव करते रहना चाहिए तो वे हमेशा वे हमारी रक्षा करेंगे। कथा के छठवें दिन पूर्व विधायक पुरुषोत्तम कंवर, पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष मदनलाल राठौर, चंद्रहास राठौर, रमेश अहिर, विजय जायसवाल, श्यामा देवी शुक्ला, पुष्पेंद्र शुक्ला, नंदनी शुक्ला, फलेंद्र शुक्ला, कल्पना शुक्ला, मुन्नी देवदत तिवारी, चुन्नी कुशल प्रसाद पांडे, शुभम शुक्ला, तारा शंकर शुक्ला, राधे शुक्ला, जय प्रकाश शुक्ला, अदिति, अनय सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण कथा श्रवण करने पहुंचे और भंडारे में भी शामिल हुए।