November 23, 2024

खरीदी केंद्रों में उमड़ने लगे किसान, जनवरी में 9 दिन नहीं होगी खरीदी

कोरबा। दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में धान खरीदी ने रफ्तार पकड़ ली है। प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद किसान धान की बोरियों को लेकर बड़ी संख्या में धान खरीदी केंद्र पहुंच रहे हैं। इससे केंद्रों में किसान की भीड़ लग रही है। जनवरी में नौ दिन धान खरीदी नहीं होगी। इसमें चार शनिवार और इतना ही रविवार के अलावा 26 जनवरी का राष्ट्रीय अवकाश भी शामिल है। दिसंबर में 28 और 29 को किसान धान बेच सकेंगे। 30 और 31 दिसंबर को अवकाश है। इस स्थिति में धान खरीदने वाली सोसाइटियों के लिए किसानों से लक्ष्य के अनुसार धान खरीदना मुश्किल है।
सहकारी समितियां परेशान हैं। धान खरीदने वाले कर्मचारी देर शाम तक केंद्रों में ठहर रहे हैं। प्रदेश में एक नवंबर से धान की खरीदी शुरू हुई। इसी माह विधानसभा के चुनाव प्रचार चरम थे। राजनीतिक दल धान पर दांव लगा रहे थे। भाजपा 3100 रुपये और कांग्रेस 3200 रुपये में प्रति क्विंटल की दर से किसानों का धान खरीदने का वादा कर रही थी। राजनीति दलों के वादों पर किसानों की नजर थी। इस कारण नवंबर के महीने में किसान धान लेकर बेचने के लिए केंद्रों पर नहीं पहुंचे। धान बेचने के लिए मतगणना और नई सरकार के शपथ लेने का इंतजार किया। अब प्रदेश में नई सरकार बरने ही किसानों ने धान बेचने के लिए सक्रिए हो गए हैं। किसान ट्रैक्टर और पिकअप पर धान की बोरियां लेकर सहकारी समितियों में पहुंच रहे हैं। रोजाना लगभग 1500 से दो हजार किसान धान बेचने के लिए टोकन ले रहे हैं। उनके अधिक किसान और उनका धान खरीदी केंद्रों पर पहुंचने से व्यवस्था चरमरा रही है। किसानों को धान बेचने के लिए दिन-दिन भर इंतजार करना पड़ रहा है। इधर सहकारी बैंक की ओर से बताया गया है कि नवंबर की पहली तारीख से अभी तक लगभग सात लाख 29 हजार रुपये क्विंटल धान की खरीदी की गई है, जो निर्धारित लक्ष्य का लगभग 29 प्रतिशत है। चालू वित्तीय वर्ष में प्रदेश सरकार ने कोरबा जिले के किसानों से 25 लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य रखा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसान 30 जनवरी तक अपना धान समितियों में बेच सकते हैं।

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