एशिया की सबसे बड़ी खदान बन सकती है गेवरा
0 सीईडबल्यूआरएल रेल कॉरिडोर का कार्य पूरा होने की उम्मीद
कोरबा। गेवरा खदान द्वारा 50 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन हासिल कर देश की सबसे बड़ी खदान बनना वर्ष 2023 में एसईसीएल की बड़ी उपलब्धियों में एक से रही। इस वर्ष कंपनी का उद्देश्य गेवरा को एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनाने का है। कंपनी खदान विस्तार योजना के तहत गेवरा की वार्षिक उत्पादन क्षमता को 70 मिलियन टन करने के लिए पर्यावरण स्वीकृति हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है। और इस वर्ष इन प्रयासों की सफलता मिलने की पूरी उम्मीद है।
बीते वर्ष एसईसीएल एवं समूचे कोयलांचल के लिए अत्यंत ही गौरव का क्षण रहा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खरसिया से धरमजयगढ़ के बीच 3000 करोड़ से अधिक की लागत से बने एसईसीएल के रेल कॉरिडोर को राष्ट्र को समर्पित किया। इस वर्ष रेल कॉरिडोर परियोजनाओं के अन्य चरणों पर कार्य शुरू हो जाएगा। प्रमुख रूप से गेवरारोड से पेंड्रारोड के बीच लगभग 5000 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे छत्तीसगढ़ ईस्ट वेस्ट रेल परियोजना के पूरे होने की उम्मीद है। वहीं धरमजयगढ़ से उरगा के बीच लगभग 1700 करोड़ की लागत से बन रहे छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर फेज-2 पर भी कार्य शुरू जाने की आशा है। इन रेल परियोजनाओं से जहां इन क्षेत्रों में अवस्थित एसईसीएल की कोयला खदानों से देशभर में कम समय में कोयला पहुंचाने में मदद मिलेगी, वहीं भविष्य में यात्री सुविधाओं के विकास से आदिवासी अंचल के लोग भी देश की मुख्य धारा से जुड़ पाएंगे। गत वर्ष ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए एसईसीएल ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास में तेजी लाई। गत वर्ष एसईसीएल के जोहिला, जमुना-कोतमा और कुसमुंडा क्षेत्रों में 580 किलोवाट क्षमता की रूफ-टॉप सौर परियोजनाओं से उत्पादन की शुरुआत हुई। इस वर्ष छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी बहुल सरगुजा क्षेत्र के अंतर्गत छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में स्थित भटगांव और बिश्रामपुर क्षेत्रों में कंपनी द्वारा अपनी जमीन पर विकसित किए जा रहे 20-20 मेगावाट के ग्राउंड माउंटेड, ग्रिड कनेक्टेड सोलर परियोजनाओं से उत्पादन शुरू हो जाने की आशा है।