धान खरीदी केंद्रों में भीड़ के साथ बढ़ी अव्यवस्था, किसान परेशान
0 उठाव कार्य की गति धीमी, धान की बोरियों का लग रहा ढेर
कोरबा। धान खरीदी के लिए अब कुछ दिन का वक्त शेष रह गया है। इन बचे दिनों में अधिक से अधिक दान खरीदने का दबाव उपार्जन केंद्रों पर है। ऐसे में किसानों की भीड़ बढ़ रही है। उपार्जन केंद्रों में धान की आवक बढ़ने के साथ अव्यवस्था सामने आने लगी है। किसानों को धान बिक्री के लिए सुबह से देर शाम तक इंतजार करना पड़ रहा है। इस कारण किसानों की परेशानी बढ़ गई है।
जिले में 42 समितियों के माध्यम से 65 उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी जारी है। अब जैसे-जैसे धान बिक्री की समयावधि समाप्त होने के करीब पहुंच रही है, वैसे-वैसे केंद्रों में बड़ी संख्या में किसान धान बेचने पहुंचने लगे हैं। बताया जा रहा है कि अधिकांश किसानों के फसल की कटाई और मिंजाई का काम लगभग पूरा हो गया है। स्थिति यह है कि एक दिन में लगभग 8 हजार टन से अधिक धान खरीदी के लिए टोकन काटे जा रहे हैं। इससे उपार्जन केंद्र की अव्यवस्था सामने आने लगी है। उपार्जन केंद्रों में कर्मचारियों की संख्या कम है। इतने ही कर्मचारियों के भरोसे किसानों की धान खरीदी की जा रही है। इस कारण समय अधिक लग रहा है। थंब कराने से लेकर धान के तौल और सुरक्षित रखरखाव के लिए चार से पांच घंटे से अधिक समय लग रहा है। इसके लिए किसानों को इंतजार करना पड़ रहा है। घर लौटने में किसानों को देर शाम हो रही है। इस अव्यवस्था से किसानों में नाराजगी बढ़ रही है। विभागीय आंकड़े देखें तो अभी तक उपार्जन केंद्रों में नौ लाख 86 हजार 906 क्विंटल धान की खरीदी की जा सकी है। गौरतलब है कि अधिकांश उपार्जन केंद्रों की पहुंच मार्ग की सड़क अत्यंत खराब हो चुकी है। मार्ग पर आवाजाही मुश्किल हो रहा है। मार्ग पर लाइट की भी सुविधा नहीं है। इधर धान की आवक जिस तेजी से बढ़ी है, इसकी अपेक्षा उठाव कार्य की गति धीमी चल रही है। जिले के तुमान, रंजना, जवाली, चिकनीपाली, कटघोरा, केराद्वारी सहित कई उपार्जन केंद्रों में खरीदी की अपेक्षा अभी तक लगभग 70 फीसदी से अधिक धान के उठाव नहीं हो सके हैं। उपार्जन केंद्रों में रखरखाव का अभाव है। फड़ समितियों के लिए धान को सुरक्षित रखने की चुनौती बनी हुई है। दरअसल उपार्जन केंद्रों में पर्याप्त शेड व चबूतरा की सुविधा नहीं है।