December 24, 2024

एनटीपीसी के भू-विस्थापितों की नहीं हो रही सुनवाई, 267 दिन से डटे आंदोलन में

कोरबा। एनटीपीसी के भू-विस्थापितों का नौकरी, बचे जमीन की मुआवजा व क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन आन्दोलन जारी है। वे 267 दिन (लगभग 9 माह) से आंदोलन में डटे हुए हैं।
अपनी मांग को लेकर 22 अप्रैल 2023 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर ग्राम चारपारा के 3 भू-विस्थापित विनय कुमार कैवर्त, रामकृष्ण केवट, राकेश कुमार केवट परिवार के सदस्यों के साथ पहले भीषण गर्मी फिर बरसात में और अब ठंड में तानसेन चौक कोरबा में बैठे हुए हैं। अभी तक भू-विस्थापितों की समस्या का निराकरण नहीं हुआ है। उनका आरोप है कि एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन मांग के प्रति वादाखिलाफी करते हुए आ रहा है। इसके संबंध में निराकरण के लिए जिला प्रशासन को कई बार आवेदन दिया जा चुका है, जिसमें जिला प्रशासन द्वारा एनटीपीसी कोरबा से बचे जमीन तथा नौकरी संबंधी रिपोर्ट भू-विस्थापितों द्वारा 12 बिंदुओं की जानकारी मांगा गया, जिसमें एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन द्वारा दिग्भ्रमित जानकारी दिया गया है। जिसके संबंध में अपर कलेक्टर कटघोरा को निराकरण कराने के लिए 8 जनवरी को पत्र प्रेषित किया गया है। इससे पूर्व एनटीपीसी कोरबा प्रबंधन द्वारा जमीन अधिग्रहण के समय किये गये वादा अनुसार 4 सितंबर 1979 में आम सूचना व 22 जनवरी 1981 में नौकरी देने संबंधी सहमति होने के बावजूद तथा 17 अगस्त 1981 व 12 फरवरी 1987 को नौकरी संबंधित सूचना जारी करने के बावजूद उसके अनुसार अभी तक नहीं नौकरी दी है और न ही सन् 2010 में प्लांट का विस्तार होने के बाद भी सूचना जारी नहीं की गई न ही किसी को नौकरी प्रदान की गई। अब तक 300 परिवार में से मात्र 38 भू-विस्थापितों को नौकरी दी गई है। लगभग 262 परिवार आज भी नौकरी से वंचित है। उनका कहना है कि सन् 2000 में 5 भू-विस्थापितों को नौकरी दिया गया है। इसके बाद से नौकरी देने के नाम से गुमराह करते आ रहे हैं। इसके विपरीत उल्टा रिक्तियां नहीं है कहकर गुमराह किया जाता है, जबकि सन् 2016 से एनटीपीसी सीपत बिलासपुर के 33 भू-विस्थापितों को ट्रेनिंग के नाम से एनटीपीसी कोरबा में नियमित नौकरी कर रहे हैं। उन्हें वापस सीपत के प्लांट में भेजने की मांग की गई है। उनकी जगह एनटीपीसी कोरबा के भू-विस्थापितों को नौकरी देने की मांग की गई है। उनका कहना है कि मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर शांतिपूर्वक बैठे हुए हैं। जब तक मांग पूरी नहीं होती है तब तक अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी।

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