November 7, 2024

हम प्रकृति के विरूद्ध कार्य करते हैं, ऐसे में हमेशा सजग रहना जरूरी : प्रभात कुमार

कोरबा। खान सुरक्षा महानिदेशालय के महानिदेशक (डीजीएमएस) प्रभात कुमार ने बताया कि कोल इंडिया में माइनिंग सरदार के लिए अब साल में दो बार परीक्षा ली जाएगी, ताकि इस पद की कमी को पूरा किया जा सके।
एसईसीएल दीपका में आयोजित वार्षिक कोयला खान सुरक्षा पखवाड़ा- 2023 के समापन सह पुरस्कार वितरण समारोह में पहुंचे डीजीएमएस प्रभात कुमार ने मीडिया से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोयला खान सुरक्षा पखवाड़ा मनाए जाने के पीछे उद्देश्य यह है हर क्षण सुरक्षा के प्रति सजग और जागरूक रहा जा सके। डीजीएमएस ने कहा कि हम खदानों में सुरक्षा को लेकर कभी भी संतुष्ट नहीं होते हैं, क्योंकि हम प्रकृति के विरूद्ध कार्य करते हैं। ऐसे में हमेशा सजग रहना होता है। सामने नई चुनौती होती है। एक सवाल के जवाब में प्रभात कुमार ने कहा कि खुली और भूमिगत खदानों में नई तकनीकी का उपयोग बढ़ रहा है। डस्ट कंट्रोल के लिए निरंतर प्रयास हो रहे हैं। पर्यावरण की क्षति को कम करते हुए उत्पादन करने पर जोर दिया जा रहा है। कुमार ने बताया कि माइनिंग सरकार के लिए अब साल में दो बार परीक्षा ली जाएगी। इस संदर्भ में कोल इंडिया के चेयरमैन के साथ चर्चा हुई है। माइनिंग सरदार एक महत्वपूर्ण पद है। कुमार ने कहा कि भूमिगत व खुली खदानों में नई टेक्नालॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। भूमिगत खदानों में कंटिन्यूअस माइनर व ओपन कास्ट में ब्लास्टिंग लेस माइन बना रहे हैं। खदानों में ब्लास्टिंग नहीं होगी तो प्रदूषण कम होगा। प्रदूषण के लिए अलग-अलग मेथड लाए जा रहे हैं। इससे प्रोडक्शन में रिकव्हरी भी ज्यादा होगी। उन्होंने कहा कि खदानों में ड्रोन का इस्तेमाल एक अच्छा उपाय है। इससे सुरक्षा को बढ़ावा दे सकते हैं। दूर से ही स्थिति का पता लगा लेते हैं। उसके हिसाब से कार्रवाई करते हैं। तकनीक के बिना कोयला खदान में काम करना मुश्किल है। दुर्घटना में आई कमी को लेकर उन्होंने कहा कि कुछ हमारी कोशिश और अन्य कारणों से इसमें कमी आई है। हमें निरंतर कोशिश करते रहना है। जब तक हमारा लक्ष्य शून्य दुर्घटना व शून्य जोखिम प्राप्त नहीं कर लेते। उन्होंने कहा कि मानसून के ठीक बाद हादसे बढ़ते हैं। उस समय हम सावधानी बरतते हैं। डीजीएमएस के लोग विजलेंस व निरीक्षण बढ़ा देते हैं। खदानों में अलर्ट करते हैं, कुछ खदानों में स्लाइड हुआ लेकिन यह दुर्घटना में तब्दील नहीं हुआ। इसी तरह के उपाय खदानों में कर सकते हैं। हमारा जो रडार और डिवाइस सिस्टम है उससे खदान को ज्यादा सुरक्षित बना सकते हैं। हर चीज जो होनी है उसे समय से पूरा कर लिया जाना चाहिए। हादसों में कमी लाने इस पर जोर रहा है, इसमें सफलता मिली है, लेकिन आगे अभी मुकाम बाकी है।

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