संघर्ष का दूसरा नाम सरोज पाण्डेय
कोरबा। कोरबा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय का नाम एक संघर्षशील महिला के रूप में जाना जाता है। राजनीति के क्षेत्र में सफलता के शिखर पर पहुंचने वाली सरोज पाण्डेय ने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है।
दुर्ग जिले से राजनीति की शुरुआत करने वाली सुश्री पांडेय आज देश की राजनीति में अपना एक अलग मुकाम बना चुकी है। कोरबा के विकास के लिए उन्होंने लगभग साढ़े 12 करोड़ की राशि दी है। इससे ही पता लगता है कि उनकी सोच क्या है और आने वाले समय में उनके फिर से सांसद बनने के बाद कोरबा लोकसभा क्षेत्र की विकास की गति क्या होगी।
भाजपा हाईकमान ने सरोज पांडेय को कुछ सोच समझ कर उम्मीदवार बनाया है। प्रखर वक्ता और छत्तीसगढ़ की राजनीतिज्ञ का नाम लिम्का गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है। उन्होंने एक ही समय में महापौर, विधायक और सांसद का चुनाव दुर्ग से जीता था। उसी के बाद उनकी पहचान अखिल भारतीय स्तर के भाजपा नेताओं के रूप में होने लगी थी। हलाकि उन्हें एक बार पराजय का भी सामना करना पड़ा है, लेकिन उतार-चढ़ाव वाली राजनीति में संघर्ष कर उन्होंने अपना मुकाम राष्ट्रीय राजनीति में स्थापित किया।
सरोज पाण्डेय भाजपा संगठन में महामंत्री, महिला मोर्चा प्रमुख, भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री, महाराष्ट्र राज्य की प्रभारी और वर्तमान में पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। राज्य की किसी महिला नेता को इतना बड़ा पद भाजपा के आलावा किसी भी अन्य पार्टी में नहीं मिला है, यह उनकी संघर्ष गाथा का परिचायक है।
जो संघर्ष में तप कर कुन्दन बनता है वही अपनी क्षेत्र की जनता का ध्यान रखता है। वह जनता की दु:ख तकलीफों से वाकिफ होता है। यही सफलता का आने वाले समय में आधार बनेगा। जमीन के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद उनकी जीत की पूंजी होगी। कोरबा उनकी कर्म भूमि बन गई है और अपनी कर्म भूमि को वे निश्चित मुकाम पर ले जाने की ओर अग्रसर है। एक नई विकास गाथा कोरबा लोकसभा क्षेत्र में लिखने की तैयारी की जा रही है।