कोरबा की खदानों ने किया कमाल, 150 एमटी से अधिक किया कोयला उत्पादन
कोरबा। जिले के खदानों की 150 मिलियन टन (एमटी) की भागीदारी एसईसीएल के 187 मिलियन टन कोयला उत्पादन में जिले के गेवरा, कुसमुंडा, दीपका व कोरबा एरिया के खदानों की सर्वाधिक 150 मिलियन टन की भागीदारी रही। इसमें 59.11 एमटी का उत्पादन गेवरा खदान ने किया है। इस माइंस को 70 एमटी कोयला खनन की पर्यावरणीय मंजूरी मिली है। यह उत्पादन हासिल होने पर प्रोडक्शन के मामले में गेवरा खदान एशिया की सबसे बड़ी खदान बनेगी।
वित्तीय साल 2023-24 में एसईसीएल ने कोल प्रोडक्शन में नया रिकॉर्ड कायम किया है। 31 मार्च की अवधि तक एसईसीएल ने 187.38 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया है, जो अब तक का कोल कंपनी की स्थापना के बाद से सर्वाधिक कोल प्रोडक्शन है। यह पिछले वित्तीय साल के 167 मिलियन टन से 20 एमटी ज्यादा है। इस तरह एसईसीएल ने कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी की है। एसईसीएल की जिले में मेगा माइंस के अलावा छत्तीसगढ़ के रायगढ़ और मध्यप्रदेश में भी कोयला खदानें हैं। वित्तीय साल 2023-24 में 187 मिलियन टन कोयला उत्पादन से दोनों राज्यों को मिलाकर कुल 14 हजार 400 करोड़ रुपये राजस्व आय मिला।
कोरबा जिले को कोयले से सर्वाधिक राजस्व मिलता है। यह राशि विकास कार्यों में खर्च होता है। एसईसीएल के बढ़ते कोयला उत्पादन में राजस्व आय के रूप में संचालन वाले राज्य को लाभ मिलता है। पिछले साल से 20 मिलियन टन ज्यादा उत्पादन से 187 मिलियन टन कोयला उत्पादन का एसईसीएल रिकॉर्ड बना पाई। हालांकि वित्तीय साल का लक्ष्य 197 मिलियन टन का रहा, जिससे 10 मिलियन टन कम उत्पादन हुआ। इस तरह पिछली बार की तरह एसईसीएल टारगेट हासिल नहीं कर पाई।
एमसीएल के बाद एसईसीएल के सर्वाधिक कोल प्रोडक्शन से कोल इंडिया 773.64 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर पाई, जो 780.20 एमटी के लक्ष्य के मुकाबले 99.16 फीसदी है। 147.8 एमटी कोयला थर्मल बिजली संयंत्रों को सप्लाई एसईसीएल ने 180.5 मिलियन टन कोयला अपने उपभोक्ताओं को भेजा है। इसमें सबसे ज्यादा 147.8 मिलियन टन कोयला थर्मल बिजली संयंत्रों को सप्लाई किया गया। पावर सेक्टर को अब तक का यह सर्वाधिक कोल डिस्पैच है। ओवरबर्डन रिमूवल (ओबीआर) में एसईसीएल 22 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी कर 323.2 मिलियन क्यूबिक मीटर ओबीआर हटाया है।