कटघोरा वनमंडल के जटगा में गिद्धों के संरक्षण का प्रयास
0 वाइल्ड लाइफ कर रहा है बचाव के इंतजाम
कोरबा। प्राकृतिक संसाधन से भरपूर कोरबा के जंगल विलुप्त होने की कगार पर खड़ी कई प्रजातियों के पशु-पक्षियों के रहवास स्थल भी हैं। इसमें लंबी चोंच वाले गिद्ध भी शामिल हैं। इस प्रजाति के कटघोरा वनमंडल के जटगा स्थित एक पहाड़ी पर 50-51 गिद्ध मिले हैं, जो पहाड़ी के ओट में रहते हैं। वाइल्ड लाइफ की नजर इन गिद्धों को बचाने पर है। इसके लिए गिद्धों के प्राकृतिक संरक्षण और बचाव के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली संस्था आईयूसीएन आगे आई है।
वाइल्ड लाइफ से संबद्ध इस संस्था की टीम वनमंडल कटघोरा के उस पहाड़ी का दौरा भी कर चुकी है जहां गिद्धों का रहवास स्थल है। टीम ने गिद्धों को लेकर पहाड़ी के आसपास रहने वाले लोगों के साथ बैठक भी की थी। इनके संरक्षण और बचाव को लेकर बातचीत किया। टीम ने इस कार्य में वन विभाग से भी मदद मांगी। क्षेत्र में इस इंजेक्शन की बिक्री न हो इस पर नजर रखने के लिए वन विभाग से अपील किया ताकि विलुप्तता की कगार पर खड़ी गिद्धों के इस प्रजाति को बचाई जा सके। भारत में गिद्धों की 9 प्रजातियां पायी जाती हैं। सभी प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर खड़ी हैं। इसमें कटघोरा के जटगा पहाड़ी पर पायी गई लंबी चोंच वाले गिद्ध भी शामिल हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में भी इस प्रजाति के गिद्ध रहते हैं, जिन्हें इंडियन लांग्स वील्ट वल्चर के नाम से जाना जाता है। यह प्रजाति तेजी से विलुप्त हो रही है इसका बड़ा कारण पांच साल की आयु में इनमें प्रजनन क्षमता को विकसित होना और एक बार जोड़ा बना लेने के बाद जीवन भर साथ रहने के साथ एक वर्ष में एक ही अंडा देना है। इससे इनकी संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है।
विलुप्त होने की कगार पर खड़े गिद्धों को बचाकर उनकी संख्या बढ़ाने के लिए वाइल्ड लाइफ की टीम प्रयास कर रही है। जटगा के पहाड़ में रहने वाले इन गिद्धों पर नजर रखने के लिए वाइल्ड लाइफ की योजना गिद्धों के शरीर पर एक कम्प्यूटराइज्ड चिप लगाने की है, ताकि इनके उड़ान और इनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और इनकी आबादी को बढ़ाई जा सके। कोरबा जैसे जगह पर गिद्धों के मिलने से वन विभाग के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए एक उम्मीद की किरण नजर आ रही है।