भू-विस्थापितों की समस्याओं का समाधान जल्द करे प्रबंधन वरना मैं खुद खदान में उतरूंगा
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0 कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल ने ग्राम अमगांव व मलगांव पहुंचकर समस्याओं को जाना
कोरबा। एसईसीएल की गेवरा परियोजना से प्रभावित ग्राम अमगांव और मलगांव के प्रभावितों की मुआवजा और अन्य समस्याओं का समाधान उचित ढंग से नहीं करने को लेकर भू-विस्थापितों में नाराजगी व्याप्त है। आज ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष संपूरन कुलदीप व अन्य पदाधिकारी के साथ कटघोरा क्षेत्र के विधायक प्रेमचंद पटेल ने दोनों गांव का दौरा कर समस्याओं का अवलोकन किया। स्थानीय ग्रामवासियों से चर्चा भी की। ग्रामवासियों ने अपनी मुआवजा संबंधित समस्याओं, मुआवजा में कटौती, सही मूल्यांकन नहीं करने और अन्य समस्याओं को सामने रखा। विधायक को आवास क्षेत्र के निकट तक खदान लाने और ब्लास्टिंगजनित समस्याओं के बारे में भी बताया गया। विधायक प्रेमचंद पटेल ने सारे विषयों को गंभीरता से सुना और समझा। उन्होंने ग्रामवासियों को आश्वस्त किया है कि इस मामले को लेकर वे एसईसीएल प्रबंधन और उच्च स्तर के अधिकारियों को पत्र लिखेंगे। यदि इसके बाद भी समाधान नहीं किया गया तो आचार संहिता खत्म होने के बाद प्रबंधन के खिलाफ उतरकर खदान बंदी कराएंगे।
भू-विस्तापितों की ओर से अपनी रोजगार, मुआवजा और बसाहट की समस्याओं को लेकर परेशानी को ध्यान में रखते हुए ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के साथ क्षेत्रीय विधायक प्रेमचंद पटेल के निरीक्षण से मलगांव व अमगांववासियों में उम्मीद की एक किरण जागी है। विधायक ने खनन क्षेत्र का निरीक्षण बाद लोंगो से सीधे मुलाकात कर उनकी समस्याओं का समाधान कराने की दिशा में कार्रवाई की बात कही है।
सपुरन कुलदीप ने विधायक को मौके पर ले जाकर दिखाया कि किस तरह गांव के मकानों से महज 15 मीटर दूरी में खनन करने और खनन के लिये भारी विस्फोटक का उपयोग किया जा रहा है। डेंजर जोन में फेंसिंग कर सुरक्षित नहीं कर निवास क्षेत्र के दायरे में खनन कार्य पर सुरक्षा महानिदेशालय धनबाद को शिकायत की मंशा से अवगत कराया गया। कोयला उत्पादन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए दीपका परियोजना के अधिकारी किसी भी हद तक जा रहे हैं। जमीन संकट को दूर करने के लिए गांव में सीआईएसएफ और त्रिपुरा रायफल्स के जवानों का मार्च पास्ट तक कराया जा रहा है, जिससे की भयभीत होकर होने वाली विरोध पर काबू किया जा सके। यही नहीं भू-विस्थापितों की ओर से मुआवजा लेने से इनकार कर दिए जाने और मकान खाली नहीं करने के बाद उनको डराने-धमकाने का काम किया जा रहा है।
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ऐसे भूविस्थापित जो नौकरी कर रहे हैं उनको खासा परेशान होना पड़ रहा है। दिन में ग्रामवासियों के विरोध कारण मिट्टी हटाने का काम बंद हो जाता है, इसलिए रात के अंधेरे में मशीन लगाकर मिट्टी की कटाई किया जाता है। कोयला उत्खनन के लिए जमीन नहीं होने का हवाला देकर और गलत जानकारी देकर जिला प्रशासन को अपने झांसे में लेकर खदान को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। दीपका परियोजना से प्रभावित ग्राम मलगांव की परिसम्पत्तियों का मुआवजा का मामला विवादित है और सुर्खियों में बना हुआ है और यहां पर जबरदस्ती मकान खाली कराने के लिए कई हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। दूसरी ओर एसईसीएल गेवरा क्षेत्र में अर्जित ग्राम अमगांव के आश्रित मोहल्ला दर्राखांचा के मकानों का नापी पूर्ण किया जा चुका है किंतु नापी का मूल्यांकन पावती देने में आनाकानी किया जा रहा है, क्योंकि प्रबन्धन मुआवजा में कटौती करना चाह रहा है जिसका भारी विरोध से सामना करना पड़ेगा ।
0 जोकाही डबरी का 10 साल से लटका पड़ा है मुआवजा
ग्राम पंचायत अमगांव के एक मोहल्ला जोकाही डबरी के मकानों का 2014- 15 में मूल्यांकन किया गया था, जिसका राजस्व विभाग के द्वारा बेवजह अपात्र घोषित कर दिए जाने का खामियाजा भुगत रहे भू-विस्थापितों को आज तक मुआवजा का भुगतान नहीं हो पाया है जिसके खिलाफ जनवरी माह से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। यहां के 93 लोगों का मुआवजा लम्बित है और प्रबन्धन व प्रशासन एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं। कल यहां के जोकाही तालाब का मेड़ रात के अंधेरे में काट दिया गया, जिसके विरोध में ग्रामीणों के द्वारा खदान विस्तार को रोक दिया गया।
0 लकवाग्रस्त पिता और अपाहिज पुत्र के मकान को ध्वस्त करने दबाव
हरिश्चंद्र महिलांगे नामक ग्रामीण एक दुर्घटना के कारण पैर से अपाहिज हो चुका है और कोई रोजगार नहीं होने के कारण अपने परिवार के जीवनयापन से परेशान है। उसके पिता लकवाग्रस्त होने के कारण खाट पर पड़े रहते हैं। खाना-पखाना की समस्या से अलग जूझ रहे परिवार के मकान का मुआवजा नहीं के बराबर बनाये जाने के कारण मुआवजा राशि को बढ़ाने की मांग कर रहा है। किंतु उसके मकान के चारों ओर से खोद कर मकान खाली करने के लिए विवश किया गया और मजबूरन उसने अजाक थाने में न्याय के लिए गुहार लगाई है।