July 2, 2024

एसईसीएल दीपका के भू-राजस्व विभाग का नया कारनामा, कहा- अंग्रेजी समझ नहीं सकते, हिंदी में करें जनसूचना के सवाल

0 मलगांव में फर्जी मुआवजा आबंटन को लेकर उठने लगे सवाल
कोरबा।
अक्सर अपनी कार्यशैली को लेकर विवादों में रहने वाले एसईसीएल दीपका क्षेत्र के भू-राजस्व (नोडल) अधिकारी ने नया कारनामा किया है। देश की जनता को जानकारी व सूचनाएं उपलब्ध करवाने के मकसद से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 बनाया गया है। परंतु भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी जानकारी न देने और अपने चोरी-भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए नए पैंतरे खोजते रहे हैं। इसी प्रारूप में एक सूचना के अधिकार के तहत किए गए आवेदन में जन सूचना अधिकारी को सूचना उपलब्ध करवाते हुए कहा कि आवेदक द्वारा किए गए आवेदन की भाषा अंग्रेजी है जिसे समझा नहीं जा सकता है। वे यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने आवेदक को नसीहत दे डाली की आवेदन मातृ भाषा में ही करें।
पूरे मामले में आवेदक शेत मसीह ने जानकारी दी है कि एसईसीएल दीपका के भू-राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की सीमाएं पार कर दी हैं। ऐसा करते हुए वे न तो कानून से डर रहे हैं और न ही जनता से। उन्होंने कहा कि दरअसल दीपका खदान विस्तार हेतु ग्राम मलगांव में अधिग्रहण में मुआवजा निर्धारण-वितरण का कार्य किया जा रहा है। ऐसे में भू-राजस्व विभाग के अधिकारियों ने फर्जी नामों से कई करोड़ रुपये का मुआवजा अपने परिचितों के नाम से बनवाया हुआ है। इसमें भ्रष्टाचार की गहराई इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले ग्राम मलगांव में ही 1631 लोगों का मुआवजा बनवाने हेतु पात्र बनवाया गया है, जबकि ग्राम मालगांव में कुल मतदाता ही 1307 हैं ।

आवेदक ने जानकारी दी की एक-एक परिवार के 10-10 लोगों के नाम से फर्जी मुआवजा बनवाया गया है। भ्रष्टाचार की हद तो ये हो गई है की सात साल की बच्ची के नाम से भी नापी करके पावती प्रदान की गई है और मुआवजा देने हेतु पात्र घोषित किया गया है। वे कहते हैं कि भू-राजस्व के नोडल अधिकारी को जब ये समझ आया कि मलगांव की जनता को उनके भ्रष्टाचार की जानकारी हो चुकी है तो उन्होंने बगैर घर तुड़वाए ही अपने परिचितों और फर्जी लोगों का मुआवजा वितरण करवा दिया गया।
0 आरटीआई का जवाब देने में लापरवाही, अंग्रेजी नहीं समझ पाने का बहाना
आवेदक शेत मसीह ने जानकारी दी कि संबंधित विभाग में जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत भू-राजस्व विभाग दीपका एसईसीएल से गोपनीय जानकारी मांगी गई थी, जिसका जवाब देने से बचने के लिए नोडल अधिकारी मधुर ने जवाब दिया है कि उन्हें अंग्रेजी समझ नहीं आती है कृपया आवेदन मातृभाषा में करें। ऐसे में उन्हें समझना चाहिए की जनसूचना का केंद्रीय पोर्टल केवल अंग्रेजी भाषा में ही आवेदन स्वीकार करता है, दूसरा कि अगर आपको इतने जिम्मेदार विभाग के जिम्मेदार पद में बैठने पर भी अगर अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं है तो आपको एसईसीएल जैसी सम्मानित कंपनी में अपनी सेवाओं से विश्राम ले लेना चाहिए। आरटीआई कार्यकर्ता शेत मसीह ने कहा कि सूचना प्राप्ति के लिए नियमत: अपील तो किया ही गया है, साथ ही साथ पूरे मामले की शिकायत दीपका क्षेत्र महाप्रबंधक एवं प्रत्येक उचित फोरम में की जाएगी।

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