पोस्टमार्टम के लिए पैसे मांगने का आरोप, डॉक्टर की शिकायत
0 प्राकृतिक आपदा से मौत बताकर मुआवजा दिलाने के खेल का खुलासा कर जांच की मांग कलेक्टर से
पाली। कोरबा जिले में पाली ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ BMO डा. अनिल सराफ के विरूद्ध उचित कार्यवाही किये जाने की मांग कलेक्टर से की गई है।इस सम्बंध में शिक़ायत करने वाले अधिवक्ता संघ पाली के सचिव उपवन सिंह खैरवार ने बताया कि- दिनांक 22 सितंबर को ग्राम बनबांधा निवासी किरण पिता नील सिंह धनुहार उम्र 2 वर्ष की मृत्यु तालाब में डूबने से हो गयी जिस पर थाना पाली द्वारा मर्ग दर्ज कर शव को पोस्टमार्टम हेतु मरच्युरी में भेजा गया था। घटना मेरे गांव का था, मैं अधिवक्ता के रूप में पाली में निवास करते अधिवक्ता का व्यवसाय करता हूं कि मृतक परिवार के द्वारा सहयोग मांगने पर मैं पोस्टमार्टम के लिये डॉक्टर साहब से सम्पर्क किया तब डॉ. अनिल सराफ के द्वारा मेरे से पोस्टमार्टम के लिये 5000/- अपने लिये तथा 3000/- रू. स्वीपर रामजी के लिये कुल 8000/- रूपये की मांग की गयी। जिस पर मैं आपत्ति किया कि इतना ज्यादा रकम मृतक पक्ष नहीं दे पायेगा अत्यंत गरीब लोग हैं तथा बच्चे की मृत्यु बाद से सदमे में हैं। तब उक्त डॉक्टर द्वारा यह कहा गया कि सभी पोस्टमार्टम में 5000/- एवं 3000/- फिक्स है तथा उसी आधार पर वकील लोग केस को लेते हैं किन्तु आप लोग नहीं दे पाते इसलिये आप लोगों को केस नहीं मिल पाता।
अधिवक्ता ने कलेक्टर को अवगत कराया है कि पाली क्षेत्र में उक्त चिकित्सक के द्वारा कई ऐसे मामले तैयार किये गये हैं जो राजस्व पुस्तिका के 6-4 के तहत नहीं आते किन्तु रूपयों का लेन-देन कर प्राकृतिक आपदा बनाकर पी.एम. रिपोर्ट तैयार किया जाता है। मृतक परिवार से पोस्टमार्टम हेतु राशि की मांग किया जाना अत्यंत चिन्ताजनक है जिसके कारण आवश्यक जांच कर उचित कार्यवाही किया जाय।
0 आरोप निराधार, समय को लेकर नाराजगी थी
शिकायत और पैसा मांगने का आरोप के संबंध में बीएमओ डॉ. सराफ का कहना है कि पोस्टमार्टम के लिए किसी तरह का पैसा लेने की बात पूरी तरह से निराधार और मनगढ़ंत है। किसी भी पोस्टमार्टम के लिए मेरे द्वारा राशि की मांग कभी नहीं की गई और ना ही किसी से की जाती है। जिस मामले की बात कर रहे हैं उसमें शाम 6 बजे मासूम बच्चे का पोस्टमार्टम कराने के लिए पहुंचे थे। पोस्टमार्टम का समय निकल जाने व शाम हो जाने के कारण हमने व्यवहारिक कारण बताते हुए मना किया था लेकिन बच्चे की बात होने के कारण फिर पोस्टमार्टम किया गया। समय की बात को लेकर मना करने से अधिवक्ता से थोड़ी बहुत कहा-सुनी हो गई थी जिससे वह नाराज भी हुए। बाद में उनकी नाराजगी दूर कर ली गई और इस तरह की कोई बात अब नहीं है।