हसदेव व सोन नदी में विसर्जित किये गये सैकड़ों मनोकामनाएं ज्योति कलश
0 खासी तादाद में रही महिलाओं की उपस्थिति
बरपाली। मां मड़वारानी पहाड़ ऊपर स्थित मां मड़वारानी देवी मंदिर में मंगलवार को कलश विसर्जन के साथ नवरात्र पर्व समाप्त हो गया। अंतिम दिन यज्ञ अनुष्ठान से देवी की पूजा की गई। लाखों दर्शनार्थियों की भीड़ ने मां मड़वारानी के सामने मत्था टेककर पुण्यलाभ अर्जित कर मनोकामनाएं मांगी। विसर्जन यात्रा में शामिल भक्तों की उपस्थिति से मड़वारानी क्षेत्र देवी की जयकारा से गूंजता रहा। नवरात्र पर्व के अंतिम दिवस पर गोधुली बेला में हजारों मनोकामनाएं ज्योति कलश को हसदेव नदी झीका एवं नीचे मां मड़वारानी कोरबा-चांपा रोड पर सोन नदी में विसर्जन हेतु उतारा गया।
मड़वारानी मंदिर में नवरात्र पर्व का समापन धूमधाम से हुआ। देवी दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की सुबह से ही भीड़ लगी रही। मंदिर परिसर में ज्योति जवारों की पूजा अनुष्ठान के साथ यज्ञ आहुति देकर सिद्धिदात्री की पूजा की गई। जिले भर में मड़वारानी मंदिर ही एकमात्र देवी स्थल है, जहां पूजा नवरात्र की पंचमी से शुरू होकर त्रयोदशी तक चलती है। दोपहर पूजा अर्चना करने के पश्चात जवारा कलशों की विजर्सन यात्रा निकाली गई। इसमें शामिल होने खासी तादाद में महिलाओं की उपस्थिति रही। पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार बाजे गाजे के साथ निकाली गई विसर्जन यात्रा में जवारा ज्योति की शोभा देखते ही बन रही थी। कलश विसजर्न को देखने दूर-दूर से दर्शनार्थियों की उपस्थिति रही। मां मड़वारानी पहाड़ ऊपर मुख्य मंदिर में दो समिति काम करती है। इनमें मां मड़वारानी सेवा समिति झीका महोरा कलमी पेड़ एवं मां मड़वारानी सेवा एवं जनकल्याण समिति शामिल है।
नवरात्र पर्व को सफल बनाने मनहरण राठौर, कुलदीप कंवर, सहस राम कौशिक, सुखदेव कैवर्त, रेवा राम चंद्रवंशी, बजरंग राठौर, संतोष कंवर, पुजारी सुरेन्द्र सिंह कंवर, लक्ष्मीकांत राठौर, लक्ष्मण सिंह कंवर, रघुनंदन कंवर, रामायण कंवर, राजू बरेठ, कीर्तन बिंझवार, शिव राठौर आदि एवं जनकल्याण समिति से विनोद साहू, पुजारी रूप सिंह कंवर आदि का सहयोग रहा।