September 19, 2024

अंत्यावसायी बनाम घोटाला निगम, कलेक्टर, सांसद और चारों विधायकों की आंख में धूल झोंककर हितग्राहियों का चयन

कोरबा 17 सितम्बर। जिला अंत्यावसायी वित्त एवं विकास निगम क ोरबा के अधिकारी न केवल शासकीय योजनाओं के हितग्राहियों से धोखाधड़ी कर रहे हैं, बल्कि समिति संयोजक, कलेक्टर कोरबा, सांसद कोरबा और जिले के चारों विधायकों की भी आंखों में धूल झोंक कर गंभीर अनियमितताओं को अंजाम दे रहे हैं। ऐसा ही गंभीर मामला न्यूज एक्शन को मिला है, जिसमें पिछले वर्ष चयनित आवेदकों का नाम वर्ष 2020-21 के आवेदकों की सूची में शामिल कर जिला स्तरीय समिति से अनुमोदित करा लिया गया है।

उपलब्ध दस्तावेजों से पता चलता है कि गत 07 सितम्बर 2020 को जिला अंत्यावसायी वित्त एवं विकास समिति कोरबा की बैठक आहूत की गयी थी। इस बैठक में अल्प संख्यक वर्ग टर्म लोन योजना के तहत अख्तरी बेगम काशीनगर कोरबा, शाहीद खान पीड़िया करतला, मो. अकबर खान रामनगर कोरबा, नाजनीन बेगम पथर्रीपारा कोरबा, अफसाना बेगम रेल्वे कालोनी कोरबा, असलम खान पुरानी बस्ती कोरबा और शबाना परवीन दर्री का चयन किया गया है।

जानकारी के अनुसार गत वर्ष 27 सितम्बर 2019 को समिति की बैठक हुई थी। इस बैठक में प्राप्त लक्ष्य 10 हितग्राहियोंं के अनुरूप चयन प्रक्रिया पूरी की गयी थी। उस समय अकबर खान, रामनगर कोरबा, मो.अफजल काशीनगर, इमरान मेमन पुरानी बस्ती कोरबा, असलम खान पुरानी बस्ती कोरबा, नौशाबा खान रविशंकर नगर, हमीरा बेगम तुलसी नगर, शबाना परवीन दर्री, जनाल अहमद कोरबा, अशरफ खान आर पी नगर और मुकेश मसीह पाड़ीमार का चयन कर लक्ष्य प्राप्त किया गया था।

प्रथम दृष्टि में वर्ष 2019-20 और 2020-21 के हितग्राहियों में चार नाम ऐसे हैं, जिन्हें पिछले वर्ष भी लोन दिया गया और इस वर्ष भी। ये नाम हैं-मो.अकबर खान, शाहीद खान, असलम खान और शबाना परवीन। सवाल यह है कि जिन्हें पिछले वर्ष लोन दिया गया था, उन्हें इस वर्ष फिर क्यों लोन दिया गया? गत वर्ष उनका चयन कर लिया गया था, तो इस वर्ष फिर चयन क्यों किया गया? इस वर्ष के आवेदकों को चयनित क्यों नहीं किया गया? क्या इस तथ्य से समिति को अवगत कराया गया था? यदि नहीं तो कोई लिखित आदेश या नियम है क्या? इस वर्ष के आवेदकों को काउंसलिंग में बुलाये बिना अनुपस्थित बताने के पीछे क्या कारण था? ये तमाम सवाल अनेक संदेहों को जन्म देते हैं और चयन सूची तैयार करने वाले अधिकारी की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि कलेक्टर, सांसद और विधायकों को गुमराह कर अनुमोदन हासिल करने वाले अधिकारी का हौसला इतना बुलंद कैसे है?

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