November 22, 2024

निष्ठा एप्प में गड़बड़ी की पराकाष्ठा

न्यूज एक्शन। साफ सफाई व्यवस्था दुरूस्त रखने के साथ ठेकेदारों की मनमानी रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। इसके तहत निष्ठा एप्प भी सरकार का एक कारगर कदम था। मगर नगर पालिक निगम कोरबा में निष्ठा एप्प भी कारगर सिद्ध नहीं हो पा रहा है। सफाई ठेकेदारों ने इसमें भी गड़बड़झाला करना शुरू कर दिया है। नगर निगम में साफ सफाई के नाम पर चल रही कमीशनखोरी ने निष्ठा एप्प की निष्ठा को भी बेइमानी की भेंट चढ़ा दी है। ठेकेदारों और निगम अधिकारियों के बीच तालमेल से निष्ठा एप्प में भी गड़बड़झाला कर शासन को धोखा देते हुए साफ सफाई में कोताही बरती जा रही है।
नगर पालिक निगम सीमा क्षेत्र में निष्ठा एप्प भी कारगर साबित नहीं हो रहा है। और इसका भी तोड़ सफाई ठेकेदारों ने निकाल लिया है। बताया जाता है कि सफाई कर्मचारियों की आठ घंटे की ड्यूटी को मात्र 2-3 घंटे में समेट दिया गया है, लेकिन भुगतान पूरा आठ घंटे का लिया जा रहा है। इसके पीछे कमीशन का खेल बताया जा रहा है। इससे शहर की सफाई व्यवस्था भी चरमरा गई है। सफाई ठेकेदार कर्मचारियों को शासन द्वारा निर्धारित दर की राशि का भी भुगतान नहीं करते है। कुल मिलाकर शासन के साथ ही ठेका सफाई कर्मचारियों की भी जेब काटी जा रही है। राज्य शासन द्वारा नगरी निकायों में सफाई कर्मचारियों की निर्धारित स्थान पर आठ घंटे की ड्यूटी तय करने के लिए और सफाई ठेकेदारों की मनमानी को रोकने के लिए निष्ठा एप लांच किया। इसके माध्यम से सफाई ठेकेदार द्वारा तैनात कर्मचारियों की संख्या और स्थान का उल्लेख स्पष्ट रूप से किया जाता है। इसके तहत संबंधित क्षेत्र के सफाई ठेकेदार को नियत स्थान पर कर्मचारियों की उपस्थिति दर्शाना है। इसके लिए सबसे पहले ड्यूटी का समय जो कि सुबह 6 बजे होता है। उस समय फोटो खींचकर निर्धारित स्थान से निष्ठाएप में भेजना है। उसी तरह ड्यूटी समाप्ति के समय फोटो खींचकर भेजा जाना है। ठेकेदारों द्वारा कर्मचारियों की उपस्थिति तो दर्शायी जा रही है, लेकिन समय का ध्यान नहीं रखा जाता। बताया जाता है कि सुबह के समय कर्मचारी निर्धारित स्थान पर जमा होते है और उस समय फोटो खींचकर डाल दी जाती है। मात्र 2-3घंटे काम करने के बाद सफाई कर्मचारी निर्धारित स्थान से गायब हो जाते है। उसके बाद सीधा ड्यूटी समाप्ति के समय तय स्थान पर पहुंचते है और फिर फोटो खींचकर डाल दी जाती है। इस दौरान हाजिरी आठ घंटे की डाली जाती है और उसका भुगतान भी शासन से ले लिया जाता है लेकिन सफाई कर्मचारियों को शासन द्वारा निर्धारित दर की राशि से भी कम भुगतान किया जाता है। वहीं देखरेख की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों को सौंपी गई है उनकी भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। इसके पहले शासन द्वारा सफाई ठेका कर्मचारियों का भुगतान सीधे उनके खाते में करने का निर्णय लिया गया था। सफाई ठेकेदारों ने कर्मचारियों का बंैक खाता तो खुलवा लिया था, लेकिन उनका एटीएम कार्ड स्वयं अपने पास और अपने मुंशी के पास रख लिया था। जब उनके बैंक खाते में भुगतान हो जाता था तो ठेकेदार और उसका मुंशी एटीएम के माध्यम से सफाई ठेकेदारों का वेतन निकाल लेते थे और अपने हिसाब से भुगतान करते थे। कुल मिलाकर शासन और सफाई कर्मचारियों को ठेकेदार द्वारा चूना लगाया जा रहा है। बताया जाता है कि इसके पीछे पूरा खेल कमीशन का है। जिसके कारण अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाते है। सफाई ठेके में विपक्षी पार्षदों द्वारा 30 से 35 प्रतिशत कमीशनखोरी का आरोप भी लगाए जाते रहे हैं।

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