गांव को मिला था बेरंग रहने का श्राप, देश के कई स्थानों पर नहीं मनाया जाता होली का त्यौहार
होली 2021: बुराइयों और आपसी मन-मुटाव को दूर करने वाला रंगों का यह त्योहार होली अनेक खुशियां बिखेरता है लेकिन देश में कुछ जगहों पर इस त्योहार का कोई नामो-निशान नहीं है और इसके पीछे सभी जगहों के अपने-अपने कारण हैं|
रूद्रप्रयाग (उत्तराखंड)- उत्तरखांड के रूद्रप्रयाग जिले में कुरझां और क्विली नाम के दो गांव हैं, जहां करीब 150 साल से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है| यहां के स्थानीय निवासियों की मान्यता है कि इलाके की प्रमुख देवी त्रिपुर सुंदरी को शोर-शराबा बिल्कुल पसंद नहीं है|इसलिए इन गांवों में लोग होली मनाने से बचते हैं| बतादें कि, उत्तराखंड में रूद्रप्रयाग उस जगह का नाम है, जहां अलकनंदा और मंदाकिनी नदी का संगम है| यहां कोटेश्वर महादेव मंदिर है, जहां भक्तों का ताँता लगा रहता है|
दुर्गापुर (झारखंड)- झारखंड के दुर्गापुर गांव में बोकारो का कसमार में होली नहीं मनाता है| यहां रहने वाले लोगों ने 100 से भी ज्यादा सालों से होली का त्योहार नहीं मनाया है| लोगों का दावा है कि अगर किसी ने होली के रंगों को उड़ा दिया तो उसकी मौत पक्की है| गांव वालों का कहना है कि 100 साल पहले यहां एक राजा ने होली खेली थी, जिसकी कीमत उसे चुकानी पड़ी थी| राजा के बेटे की मृत्यु होली के दिन हो गई थी| संयोग से राजा की मौत भी होली के दिन ही हुई थी| जहां मरने से पहले राजा ने यहां के लोगों को होली न मनाने का आदेश दे दिया था|
तमिलनाडु- तमिलनाडु में रहने वाले लोग भी पारंपरिक रूप से होली का त्योहार नहीं मनाते हैं, जैसा कि भारत के पूर्वी, पक्षिम और उत्तर छोर में मनाया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि होली पूर्णिमा के दिन पड़ती है और तमिलियन में यह दिन मासी मागम को समर्पित है|इस दिन उनके पितृ पवित्र नदियों और तालाबों में डुबकी लगाने के लिए आकाश से धरती पर उतरते हैं| इसलिए इस दिन होली मनाना वर्जित समझा जाता है|
रामसन गांव (गुजरात)- गुजरात के बनसकांता जिले में स्थित रामसन नाम के एक गांव में भी पिछले 200 साल से होली का त्योहार नहीं मनाया गया है| इस गांव का नाम पहले रामेश्वर हुआ करता था| ऐसी मान्यता है कि भगवान राम अपने जीवनकाल में एक बार यहां आए थे| ऐसा कहा जाता है कि एक अहंकारी राजा के दुराचार के चलते कुछ संतों ने इस गांव को त्योहार पर बेरंग रहने का श्राप दे दिया दिया था| तभी से इस गांव में होली न मनाने की प्रथा बदस्तूर चली आ रही है|