November 22, 2024

जानें कैसे कोरोना के मरीजों में मिल रहे ‘ब्लैक फंगस’, मगर संक्रमण का इलाज है संभव

नईदिल्ली 11 मई। कोविड-19 के नए म्यूटेंट के साथ कई सारी नई बीमारियां आ रही हैं। हाल ही में ‘म्यूकर माइकोसिस’ नाम की एक बीमारी चर्चा में है। दरअसल, ये एक तरह की ‘फंगस’ या ‘फफूंद’ होती है। यह उन लोगों पर हमला करती है जो किसी स्वास्थ्य समस्या के कारण दवाइयां ले रहे हैं और इन दवाइयों की वजह से उनकी इम्यूनिटी या शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है। यह फंगल इंफेक्शन नाक से शुरू होता है, फिर आंखों में पहुंचता है और फिर दिमाग तक जाता है, लेकिन घबराने की बात नहीं है। सही वक्त पर लक्षण पहचान लिए जाएं तो इसका इलाज भी संभव है।

म्यूकर माइकोसिस का इलाज है संभव

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वीके पॉल के अनुसार, ये इन्फेक्शन ‘म्यूकर’ नाम के फंगस की वजह से होता है और इसलिए हम इसे ‘म्यूकर माइकोसिस’ कहते हैं। डॉ. पॉल बताते हैं, “ये बहुत हद तक डायबिटीज के मरीजों में पाया जाता है, अगर आपको डायबिटीज की बीमारी नहीं है तो बहुत कम चांस है कि आपको इसका सामना करना पड़े। इसकी कोई बड़ी ऑउटब्रेक हो रही हो ऐसा अभी नजर में नहीं आया है। हम इस पर नजर बनाए हुए हैं। यह एक क्यूरेबल डिजीज है।”

उन्होंने आगे कहा कि अगर कोई डायबिटीज का मरीज इम्यून सप्रेसिव (इम्यूनिटी को दबाने वाली) दवाइयां, स्टेरॉयड ले रहा है, या उसे कैंसर है, तो उस व्यक्ति पर म्यूकर माइकोसिस का प्रभाव अधिक होता है। दरअसल, कोविड-19 बीमारी के इलाज के लिए डेक्सामेथासोन, प्रेडनिसोलोन, मेथिलप्रेडिसोलोन, डेक्सोना जैसी दवाइयां ली जाती हैं। ये दवाएं हमारे इम्यून सिस्टम को सप्रेस यानि दबाती हैं। जब एक कोविड-संक्रमित रोगी को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा जाता है, उसमें एक ह्यूमिडिफायर होता है, जिसमें पानी होता है, इसके कारण ही फंगल संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।

डॉ. वीके पॉल इसके बचाव के बारे में कहते हैं, “जिन्हें शुगर की बीमारी है उन्हें इसे कंट्रोल में रखना होगा। हमने प्रशासन को स्टेरॉयड को लेकर कहा है कि वह कोविड-19 की शुरुआत में रोगी को इसे न दें। स्टेरॉयड को अनावश्यक रूप से नहीं दिया जाना चाहिए। इसे छठे दिन के बाद दिया जाना चाहिए और केवल एक निर्धारित अवधि के लिए ही इसे रोगी को दें।”

आईसीएमआर ने की एडवाइजरी जारी

म्यूकर माइकोसिस की टेस्टिंग और इलाज को लेकर आईसीएमआर ने भी एडवाइजरी जारी की है। इसमें उन्होंने इसके लक्षण, बचाव और उपाय की बात की है। अगर किसी को आंखों और नाक में दर्द होने जैसी शिकायत है या उसके आसपास की जगह लाल हो गई है, बुखार, सिर दर्द, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इसके साथ संक्रमित व्यक्ति को खून की उल्टियां इत्यादि की समस्या है तो हो सकता है वह म्यूकर माइकोसिस की वजह से हो। एडवाइजरी में बचाव को लेकर कहा गया है कि धूल भरी जगह पर जब जाएं तो उससे पहले मास्क जरूर पहनें। शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े और जूते पहनें।

किन लोगों को है ज्यादा खतरा ?

-डायबिटीज के मरीज
-जो लोग स्टेरॉयड का अधिक सेवन करते हैं
-काफी समय से ICU में रहने वाले मरीज
-अगर आप किसी गंभीर बीमारी का शिकार हैं और ट्रांसप्लांट या फिर किसी और स्वास्थ्य समस्या के कारण आप कोमॉर्बिड हैं
-पोस्ट ट्रांसप्लांट और मैलिग्नेंसी वाले लोग
-वोरिकोनाजोल थैरेपी वाले लोग

इसके लक्षण क्या हैं ?

-साइनस की परेशानी, नाक का बंद हो जाना
-दांतों का अचानक टूटना, आधा चेहरा सुन्न पड़ जाना
-नाक से काले रंग का पानी निकलना या खून बहना
-आंखों में सूजन, धुंधलापन
-सीने में दर्द उठना, प्लूरल इफ्यूजन
-सांस लेने में समस्या होना
-बुखार होना

बचाव के उपाय

-कोविड से ठीक होने के बाद अपना ब्लड शुगर लेवल चेक करते रहें और इसे नियंत्रित रखें
-डॉक्टर की सलाह के बाद ही स्टेरॉयड का उपयोग करें
-एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाइयां का उपयोग कैसे करें इसपर डॉक्टर की सलाह लें
-ऑक्सीजन ले रहे हैं तो ह्यूमिडिफायर में साफ पानी का ही इस्तेमाल करें
-हाइपरग्लाइसीमिया को नियंत्रण में रखें
-इम्यूनिटी बूस्टर दवाइयों को बंद कर दें
-एंटीफंगल प्रोफिलैक्सिस की जरूरत न हो तो इसे न लें
-इसके इलाज के लिए अपने शरीर को हाइड्रेट रखें, पानी की कमी न होने दें

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