September 20, 2024

राहुल गांधी के चार यार: दो भीतर, दो बाहर

नईदिल्ली 30 अगस्त। मध्यप्रदेश ग्वालियर के राजघराने से आने वाले ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया, राजस्थान से सचिन पायलट, उत्तर प्रदेश के जितिन प्रसाद और महाराष्ट्र के मिलिंद देवड़ा। ये चारों नेता कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के सबसे अधिक करीबी व जिगरी दोस्त माने जाते थे। इन चारों नेताओं का जिक्र राहुल गांधी के अध्यक्ष रहते हुए अक्सर होता था। कहा जाता था कि राहुल गांधी के ये चारों सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी हैं, लेकिन चंद महीनों के भीतर ही कहानी बदल चुकी है। क्योंकि राहुल गांधी के बेहद करीबियों में शुमार किए जाने वाले चार नेताओं में से दो अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। सबसे पहले मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस को बड़ा झटका दे चुके हैं। कमलनाथ सरकार गिराकर वे बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री के पद विराजमान हैं। दूसरा नाम जितिन प्रसाद का है। कभी यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद ने बुधवार को कांग्रेस को अलविदा कहकर बीजेपी का दामन थाम लिया। चंद महीनों बाद उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव है। जितिन प्रसाद का राहुल का साथ छोड़ना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है। हालांकि कांग्रेस नेताओं की बातचीत से ऐसा लग रहा है कि जितिन प्रसाद का जाना पार्टी के लिए कोई बड़ा नुकसान नहीं है।

अब राहुल के पास केवल उनके दो दोस्त बचे हुए हैं सचिन पायलट व मिलिंद देवड़ा, लेकिन दोनों का मनमुटाव भी जगजाहिर है। इस वक्त सचिन पायलट व मिलिंद देवड़ा राहुल गांधी के साथ खड़े जरुर नजर आ रहे, पर इनके भी रास्ते कब अलग हो जाए कुछ कहां नहीं जा सकता। कुछ चीजें बड़े घटनाक्रम की तरफ भी इशारा करती हैं। सचिन पायलट राजस्थान विवाद के बाद भले ही शांत हो गए हों लेकिन राज्य लीडरशिप को लेकर उनकी नाराजगी जगजाहिर है। वहीं मिलिंद देवड़ा ने भी कुछ ऐसे बयान दिए जिससे उनकी नाराजगी दिखाई देती है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में चुनाव के बस कुछ ही महीने बाकी है। ऐसे में राहुल गांधी के सामने ये बड़ी चुनौती बनी हुई है कि कैसे वो अपने पुराने दोस्तों को साथ बनाए रखें। इस बीच यूपी में कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह ने भी इस पर टिप्पणी की है। उन्हें इस पर पार्टी आलाकमान को आत्ममंथन तक की सलाह दे डाली है। वहीं ये भी साफ कर दिया है कि आने वाले समय में वह तय करेंगी कि उन्हें किस पार्टी से चुनाव लड़ना है।

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