श्रीमद् भागवत कथावाचिका हेमलता शर्मा ने सुनाई कृष्ण-रुक्मणी विवाह की कथा, प्रसंग सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु
0 रामाधार भोला कॉम्पलेक्स कटघोरा में जायसवाल परिवार का आयोजन
कोरबा। कटघोरा नगर में रामाधार भोला कॉम्प्लेक्स में आयोजित जायसवाल परिवार द्वारा श्रीमद भागवत कथा सप्ताह के छठवें दिन कोरबा जिले के पाली की प्रसिद्ध श्रीमद् भागवत कथा वाचिका श्रीमती हेमलता शर्मा ने श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह प्रसंग सुनाया, जिसे सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुना। श्रीकृष्ण-रुक्मणी का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। श्रीमद् भागवत सप्ताह की कथावाचिका हेमलता शर्मा ने कहा कि पौराणिक कथाएं सुनने से मनुष्य की मनोवृति में बदलाव होता है।
कटघोरा नगर के बिलासपुर मार्ग पर स्थित रामाधार भोला कॉम्प्लेक्स में भोला जायसवाल द्वारा श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथावाचिका हेमलता शर्मा ने श्रद्धालुओं को कृष्ण की बाल लीलाओं समेत अन्य प्रसंग सुनाए। कथावाचिका हेमलता ने कहा कि भगवान को माखन इसलिए अच्छा लगता है क्योंकि माखन भक्त का प्रतीक है। उन्होंने प्रवचन में कहा कि धनवान व्यक्ति वही है, जो अपने तन, मन, धन से सेवा भक्ति करे। परमात्मा की प्राप्ति सच्चे प्रेम, भक्ति से ही संभव हो सकती है। गाय की सेवा से 33 करोड़ देवी-देवताओं की सेवा हो जाती है। इस दौरान यजमान भोला जायसवाल सपत्नीक समेत सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहें। भागवत कथा के दौरान कथावाचिका हेमलता ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास में लिखा है कि सनातन धर्म को विदेशियों से बचाने के लिए कितने प्रयास किए गए हैं। ऐसे में वर्तमान समय में भी हमें सनातन धर्म को बचाने के लिए हर संभव प्रयत्न करना चाहिए। कुछ समय पूर्व तक हमारे घरों में गीता, रामायण समेत अन्य धार्मिक ग्रंथों की प्रतिदिन पूजा अर्चना होती थी, लेकिन टीवी के आगमन के बाद सिनेमा ने हमारे धर्म को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है।
श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ में कथावाचन में श्रद्धालुओं को कृष्ण-रुक्मणी विवाह समेत अन्य प्रसंग सुनाए गए। कथावाचिका हेमलता शर्मा ने छठे दिन मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, उधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। कथावाचिका हेमलता ने कहा कि आस्था और विश्वास के साथ भगवत प्राप्ति आवश्यक है। भगवत प्राप्ति के लिए निश्चय और परिश्रम भी जरूरी है। कथावाचक ने कृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणी के साथ संपन्न हुआ था, लेकिन रुक्मणी को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नहीं सकती। यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक है नहीं तो फिर वह धन चोरी, बीमारी या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत: ही प्राप्त हो जाती है। इस दौरान श्रीकृष्ण भगवान व रुक्मणी के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया। भगवान श्रीकृष्ण-रूक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। कथा के दौरान भक्तिमय संगीत ने श्रोताओं को आनंद से परिपूर्ण किया। कृष्ण-रुकमणी की वरमाला पर जमकर फूलों की बरसात हुई।