कुसमुंडा खदान में ब्रेकडाउन टिपर में लगी आग
0 एसईसीएल में चल रहा हादसों का पखवाड़ा
कोरबा। एसईसीएल की खदानों में 3 दिसंबर तक सुरक्षा पखवाड़ा चल रहा है। ऐसे में खदानों के साधन संसाधनों की सुरक्षा में किस तरह की भारी चूक देखने को मिल रही है, इसका अंदाजा आज फिर हुई ताजा आग लगने के घटनाक्रम से लगाया जा सकता है। कुसमुंडा खदान में सुरक्षा पखवाड़ा के बीच महज दो दिन में दूसरी आग बार आग लगने की बड़ी घटना सामने आई है, जहां एक टिपर वाहन में आग लग गई।
मिली जानकारी के अनुसार ओबी (मिट्टी) कटिंग का कार्य कर रही ठेका कंपनी गोदावरी डीफी जेवी की रात्रि पाली में 32 नंबर टिपर ब्रेकडाउन थी। वाहन पार्किंग में खड़ी थी। अचानक लगभग सुबह 3 बजे गाड़ी से धुआं निकलने लगा। धुआं आग में तब्दील होते देर नहीं लगी और धू-धू कर गाड़ी जलने लगी। गनीमत यह रहा कि गाड़ी के अंदर कोई व्यक्ति नहीं था। आग की लपटों को देख उसे बुझाने का प्रयास किया गया। काफी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया, परंतु टिपर के सामने का हिस्सा केबिन पूरी तरह जल कर खाक हो गया। घटना किन कारणों से हुई इस पर अभी संशय बना हुआ है, क्योंकि जब वाहन ब्रेकडाउन है और बंद है तो शॉर्ट सर्किट का चांस कम रहता है। अक्सर गाड़ी चालू रहने की स्थिति में ओवर हिट के कारण आग लगती है, पर यहां वाहन बंद होने की स्थिति में आग लगना जांच का विषय है। एसईसीएल कुसमुंडा खदान में सुरक्षा पखवाड़ा चल रहा है, लेकिन इसी बीच सुरक्षा को लेकर कई बड़ी चूक सामने रही है। एक ओर जहां बुधवार की रात करोड़ों रुपये की फेस माइनर मशीन में आग लग गई, वहीं महज 2 दिन में फिर से आग लगने की घटना समझ से परे हैं। एसईसीएल कुसमुंडा खदान में कोयला डिस्पैच करने लिए बड़ी ठेका कम्पनियों को दिया गया है। बताया जाता है कि जिनके टिपर वाहन में एसी नहीं है, जिससे ड्राइवर गाड़ी कांच खोल कर खदान के अंदर गाड़ी चला रहे हैं। इससे कभी भी कोयले या पत्थर का बड़ा हिस्सा अंदर चले जाने पर बड़ी दुर्घटना घट सकती है। भारी भरकम धूल डस्ट को झेलते हुए कोयला मजदूर काम करने मजबूर हैं।