October 4, 2024

सी-मार्ट में शासन के गाइडलाइंस की उड़ाई जा रही धज्जियां

0 भाजपा नेता ने लगाया आरोप, कार्रवाई की मांग
कोरबा।
आकांक्षी जिला कोरबा में संचालित सी-मार्ट को लेकर एक गंभीर शिकायत सामने आई है। संचालनकर्ता फर्म पर शासन के उद्देश्यों के विपरीत सी-मार्ट का संचालन कर स्व-सहायता समूहों का शोषण किए जाने खुले बाजार से सामग्रियों की खरीदी कर सी-मार्ट में री पैकिंग कर शासन-प्रशासन को निर्धारित मापदंडों के पालन की भ्रामक जानकारी देने की शिकायत हुई है।
भाजपा जिला सह संयोजक मो. न्याज नूर आरबी ने मुख्यमंत्री को लिखकर संचालनकर्ता फर्म मे. रामसा एलायड प्रा.लि. रायपुर के कार्यों के व्यापक लोकहित में जांच व जांच पर्यंत तक शेष भुगतान पर रोक लगाने समेत कड़ी कार्रवाई की मांग की है। आरबी ने सीएम को लिए लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि कुटीर उद्योग एवं महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने तथा उन्हें स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सी-मार्ट की स्थापना की गई है, लेकिन आदिवासी बाहुल्य आकांक्षी जिला कोरबा में शासन की मंशा एवं निर्धारित गाइडलाइंस के विपरीत सी-मार्ट का संचालन किया जा रहा है। नियमानुसार सी-मार्ट में 60/40 के अनुपात में सामग्री विक्रय हेतु रखा जाना है। 40 प्रतिशत महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पाद की बिक्री की जानी है, तो 60 फीसदी सामाग्री संचालनकर्ता फर्म को खुले बाजार से क्रय करने का प्रावधान है, लेकिन कोरबा जिले में संचालनकर्ता फर्म मे. रामसा एलायड प्रा.लि. रायपुर ने शासन के निर्धारित गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाते हुए 90 फीसदी से अधिक उत्पाद अपने निहित स्वार्थ कमीशन के लिए खुले बाजार से क्रय कर सी-मार्ट में री पैकिंग कर निर्धारित समानुपात की पूर्ति कुटरचना कर केवल फर्जी आंकड़ों के जरिए कर शासन-प्रशासन की आंखों में धूल झोंक रही है। आरबी ने लिखा है कि शासन को कोरबा जिले के सी-मार्ट से जनवरी माह में 1 करोड़ 4 लाख के सामग्री क्रय की जानकारी दी गई है, नियमानुसार सीएलएफ (कलस्टर लेवल फेडरेशन) से सामग्री क्रय किया जाना था, लेकिन नियमों की अनदेखी कर 90 फीसदी से अधिक सामग्री खुले बाजार से कमीशन की आड़ में क्रय की गई।
युवा नेता ने कहा कि करतला जैसे आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक में आज पर्यंत महज 40 हजार रुपये के स्व-सहायता समूहों को बड़ी, पापड़, तिल लड्डू, चप्पल क्रय करने के एवज में भुगतान हुआ है। अन्य ब्लॉकों में भी कमोबेश यही हालात हैं। इस तरह महिला समूहों के द्वारा तैयार उत्पाद को प्रोत्साहित करने की जगह महज 100 रुपये मासिक किराए की दर पर नगर निगम से कोरबा के हृदय स्थल टी.पी. नगर चौक में मिले विशाल भवन में सी-मार्ट का व्यवसायिक उपयोग हो रहा है। विभिन्न फर्मों से मार्केट से सामग्रियों की खरीदी की जा रही है। सी=मार्ट को ऑफिस बनाकर ठेकेदारी से लेकर कामर्शियल कामकाज ऑपरेट किया जा रहा है। मो. न्याज नूर आरबी ने उपरोक्त प्रकरण में राज्य स्तरीय टीम गठित कर यथाशीघ्र सी-मार्ट कोरबा के अनुबंध, क्रय प्रक्रिया, भुगतान प्रक्रिया की जांच कर स्व-सहायता समूहों का बयान दर्ज करते हुए जांच पर्यंत तक फर्म का शेष भुगतान पर रोक लगाने की मांग की है। पत्र की प्रतिलिपि उप मुख्यमंत्री एवं विभागीय मंत्री विजय शर्मा मुख्य सचिव, सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग एवं कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी को दी गई है।
0 ड्रीम प्रोजेक्ट सी-मार्ट शासन की मूल मंशा के विपरीत
आरबी ने ध्यान आकर्षित कराते हुए बताया है विभागीय अफसरों ने विधानसभा को यह जानकारी दी है कि 1 करोड़ 4 लाख रुपये का सामान सी-मार्ट के लिए स्थानीय महिला समूहों से खरीदे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि महज 4 से 5 लाख रुपये की सामग्री स्व-सहायता समूहों से खरीदी गई है, शेष सामग्री खुले बाजार से खरीदी गई है। शनिवार, रविवार सहित अन्य दिवस दूसरे जिलों से मालवाहक वाहन सामग्री लेकर अनलोडिंग के लिए पहुंचती है। कुल मिलाकर जहां इसी फर्म मे. रामसा एलायड प्रा.लि. रायपुर ने रीपा में 30 करोड़ का काम कर समूहों की जगह स्वयं का आर्थिक सशक्तिकरण किया है, वहीं अब शासन की ड्रीम प्रोजेक्ट सी-मार्ट की शासन के मूल मंशा के विपरीत संचालन कर रहे हैं। बाहर से सामग्री लाकर समूहों के ब्रांड के नाम पर रिपैकिंग का खेल चल रहा है।

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