कोरबा के सरकारी कोविड अस्पताल में मरीजों को जान का गम्भीर संकट, पढ़िये क्या है इसका कारण
कोरबा 16 अक्टूबर। जिले के सरकारी कोविड 19 अस्पताल में भर्ती मरीज की देखरेख में यहां कार्यरत स्टॉफ के द्वारा लापरवाही बरतने और मरीज के गिरकर चोटिल होने के बाद भी परिजनों को अवगत कराने में घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। जब परिजनों को इसकी जानकारी हुई तब निजी अस्पतालों में लगभग 13 दिनों तक इलाज कराते रहे, लेकिन अंतत: मरीज एसईसीएल कर्मी को बचाया नहीं जा सका। मृतक के पुत्र ने कोविड अस्पताल में उसके पिता की देखरेख में लापरवाही का आरोप लगाया है।
जानकारी के मुताबिक मूलत: हरदीबाजार क्षेत्र के कोरबी- धतुरा का निवासी तुलाराम कुर्रे पिता समारू लाल 54 वर्ष एसईसीएल की रजगामार परियोजना में कन्वेयर ऑपरेटर था। 25 सितंबर को कोरोना के लक्षण आने पर जांच में पॉजीटिव निकला। घर पर ही आइसोलेशन में उन्हें रखा गया और 26-27 सितंबर को घर लाकर टीम ने दवाई दी। 27 सितंबर की रात दस्त और खांसी की शिकायत बढ़ने पर ईएसआईसी कोविड हास्पिटल में भर्ती कराया गया। 27 सितंबर की रात कोविड अस्पताल में भर्ती तुलाराम से पुत्र चंद्रप्रकाश की 29 सितंबर तक बात होती रही। 30 सितंबर को सुबह से तुलाराम से बेटे की बातचीत नहीं हुई और अस्पताल के कंट्रोल रूम से भी कोई संपर्क नहीं हुआ। काफी कोशिशों के बाद शाम के वक्त फोन उठा तब अस्पताल के बाथरूम में तुलाराम के गिरने की जानकारी मिली। परिजन अस्पताल पहुंचे और वहां से तुलाराम को निकलवाकर कृष्णा हास्पिटल में भर्ती कराया। यहां परीक्षण उपरांत चिकित्सक ने पैरालाइज होने की जानकारी परिजन को दी। 7 अक्टूबर तक यहां उपचार के दौरान हालत में सुधार न होने और तबियत बिगड़ने पर वीवाय हास्पिटल रायपुर के लिए रेफर कराया गया। पुत्र चंद्रप्रकाश ने बताया कि रायपुर जाते वक्त बिलासपुर के थोड़ा आगे ऑक्सीजन लेवल गिरता देख आनन-फानन में दूसरे निजी अस्पतालों में भर्ती कराने की कोशिश की गई। बिलासपुर के महादेव अस्पताल में भर्ती कराया गया और बाद में वहां से निकालकर किस्म में भर्ती कराया। 13 अक्टूबर की रात करीब 11.30 बजे किम्स अस्पताल से तुलाराम के निधन की सूचना परिजनों को मिली। पुत्र चंद्रप्रकाश ने बताया कि 14 अक्टूबर को गृहग्राम पथर्री, कोरबी-धतुरा में तुलाराम का अंतिम संस्कार किया गया।
मृतक तुलाराम के पुत्र चंद्रप्रकाश ने आरोप लगाया है कि कोविड अस्पताल में भर्ती वृद्धजन, अधेड़ मरीजों की देख-रेख व बाहर-भीतर के लिए वार्ड ब्वाय की ड्यूटी तो लगाई गई है लेकिन देख-रेख के अभाव में असहाय मरीज दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। अस्पताल के स्टाफ ने उस वक्त कोई भी जानकारी सही तरीके से नहीं दी बल्कि किसी ने बाथरूम में गिरने तो किसी ने बिस्तर से गिरने की अलग-अलग बात बताई। गिरने की वजह से तुलाराम के हाथ, पसली, पीठ, जांघ में चोटें आई थी।