नगर निगम कोरबा बना रहा परिवहन नगर, भू माफिया को करोड़ों का होगा फायदा, कांग्रेसी मंत्री का है संरक्षण ?
कोरबा 23 अक्टूबर। नगर निगम कोरबा द्वारा परिवहन नगर बनाए जाने का प्रस्ताव एवं टेंडर किया गया है। यह टेण्डर शहर के भू माफिया गिरोह को फायदा पहुंचाने के लिए करने की चर्चा है। भू माफिया ने यहां एक सौ एकड़ से अधिक सरकारी जमीन फर्जीबाड़ा कर पहले से हड़प रखी है। इस बात की जानकारी होने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केवल शासकीय भूमि का उपयोग इस योजना में करने का निर्देश गत वर्ष दिया था। लेकिन बात तो एक ही है। परिवहन नगर बनने के बाद मौके पर जमीन की कीमत बढ़ ही जाएगी। भू माफिया को करोड़ों का फायदा तब भी पहुँचेगा। यहां हुए जमीन घोटाला में कांग्रेस के एक मंत्री की मुख्य भूमिका होने की भी चर्चा है। इस मंत्री के करीबी लोगों ने ही बेनामी जमीन खरीदी है, ऐसा बताया जाता है।
जानकारी के अनुसार नया परिवहन नगर बरबसपुर में बनाया जाना है। उक्त ग्राम बरबसपुर मसाहती ग्राम है जिसके नक्शा और खसरा का अंतिम प्रकाशन नहीं हुआ है अर्थात वह ग्राम अनसर्वेड विलेज है, जिसका नक्शा और खसरा का अंतिम अनुमोदन नही हुआ है। नगर निगम कोरबा के मास्टर प्लान में उक्त क्षेत्र परिवहन और व्यवसायिक प्रयोजन के लिए आरक्षित या योजना में शामिल नहीं किया गया है। मास्टर प्लान में परिवहन नगर एवं व्यवसाय क्षेत्र नहीं होने के बाद भी नगर निगम द्वारा परिवहन परिवहन नगर बनाने का स्टीमेट तैयार कर शासन द्वारा राशि स्वीकृत की गई जो कि पूर्णतया नियम विरुद्ध है। सवाल उठाया जा रहा है कि जब उक्त स्थल योजना में परिवहन नगर के रूप में चिन्हित ही नहीं है तो अग्रिम तौर से स्टीमेट बनाकर राशि क्यों आवंटित की गई ।
जानकारी के अनुसार योजना बनाने के समय परिवहन नगर बनाने के प्रस्ताव के पूर्व ही आसपास की भूमि की काफी ज्यादा तादाद में खरीदी बिक्री की गई है जो कि रजिस्टार ऑफिस से पता किया जा सकता है। यही नहीं, मसाहती गांव की आड़ में इस इलाके में पूरी सरकारी जमीन का फर्जी दस्तावेज बनाकर भू माफिया द्वारा पंजीयन प्रक्रिया पूरी करने की बात भी कही जा रही है। राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव से यह गड़बड़ी की गई है, ऐसा बताया जा रहा है। इस तरह यह पूरी तरह सोची समझी साजिश के तहत करोड़ों अरबों कमाने के उद्देश्य से उक्त प्रस्ताव लाया गया है ।
सूत्रों के अनुसार शासन द्वारा राशि पहले स्वीकृत की गई फिर विवाद होता देख उक्त भूमि का मास्टर प्लान की योजना में बदलाव किया गया और प्रयोजन बदला गया। बताया जाता है कि वर्तमान में जो टेंडर किया जा रहा है उसमें परिवहन नगर का कोई स्वरूप नहीं है किंतु बड़े-बड़े भवनों के निर्माण का प्रस्ताव है। योजना में परिवहन व्यवसायियों के लिए ट्रक या अन्य कमर्शियल वाहन की पार्किंग गैरेज तथा मरम्मत कार्य के लिए पर्याप्त विकसित स्थान का प्रावधान नही है और ड्राइवर हेल्पर इत्यादि वाहनों में संलग्न कर्मचारियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि किसी भी परिवहन नगर को बसाने के लिए सर्वप्रथम पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए। मरम्मत और रिपेयरिंग कार्यों के लिए छोटे कारीगरों को स्थान देना चाहिए और इसी तरह अन्य मूलभूत सुविधा जैसे बिजली पानी सड़क की व्यवस्था प्रथम चरण में किया जाना चाहिए जो नहीं किया गया है।
सबसे बड़ी बात यह है कि प्रस्तावित परिवहन नगर मुख्य ट्रकों की आवाजाही स्थल जैसे दीपिका कुसमुंडा जमनीपाली से 40 किलोमीटर दूर है।कोरबा शहर में ट्रकों का मुख्य क्षेत्र पश्चिम क्षेत्र है जहां एशिया की सबसे बड़ी खदान गेवरा, दीपका, इंडियन आयल का स्टोरेज एरिया, एन टी पी सी, सी एस ई बी इत्यादि मुख्य औद्योगिक एरिया से 40 किलोमीटर दूर है। फल स्वरुप उक्त स्थल औचित्यहीन है।सूत्रों के अनुसार सिर्फ षड्यंत्र में शामिल लोगों को, जिन्होंने परिवहन नगर बसाया जाने के पूर्व जमीन की खरीद बिक्री की है, उनको फायदा पहुंचाने के लिए उक्त स्थान में परिवहन नगर बनाया जाना प्रस्तावित किया गया है।