कोरोना: बिलासपुर में निजी अस्पतालों को नोटिस जारी, लूट खसोट पर सख्ती शुरू
बिलासपुर 17 नवम्बर। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बिलासपुर जिला प्रशासन ने चयनित निजी अस्पतालों को संक्रमितों के उपचार की अनुमति दी है। अनुमति मिलते ही अस्पताल प्रबंधन ने लूटने का काम शुरु कर दिया है। आलम यह है कि लाखों रुपये खर्च करने के बाद मरीज अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। साथ ही इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग से कर रहा है। इन शिकायतों को स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लेते हुए इन अस्पतालों को नोटिस थमाते हुए तीन दिन के भीतर खर्च का ब्यौरा मांगा है। साथ ही साफ किया गया है कि ब्यौरा नहीं मिलने पर अस्पतालों को सील करने की कार्रवाई की जाएगी।
बिलासपुर जिले में रोजाना औसतन 200 से ज्यादा कोरोना मरीज मिल रहे हैं। ऐसे में सरकारी अस्पताल मरीजों से भर गए हैं। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने मरीजों को नियम शर्तो के हिसाब से होम आइसोलेट होकर और गंभीर हो चुके संक्रमितों के इलाज के लिए शहर के आठ निजी अस्पतालों को अधिकृत किया है। इसमे निजी अस्पताल प्रबंधन को कहा गया है कि वे बकायदा उपचार का शुल्क लेकर मरीजों का उपचार करे, लेकिन कितना रुपये लेना है यह साफ नहीं किया गया है।
बस इसी बात का फायदा चयनित निजी अस्पताल उठा रहे है और उपचार के नाम पर अनाप शनाप वसूली कर रहे हैं। आलम यह है कि जैसे भी कोई मरीज अस्पताल पहुंच रहा है, वैसे ही उसके परिजन से कम से कम एक लाख रुपये तक जमा कराया जा रहा है। इसी के बाद मरीज को भर्ती किया जा रहा है।
अब तक तकरीबन एक हजार से ज्यादा संक्रमितों का उपचार इन अस्पतालों में किया जा चुका है, लेकिन किसी भी अस्पताल ने उपचार के एवज में कितने रुपये ले रहे हैं इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को नहीं दी है। वही ठीक होने वाले संक्रमित और परिजन ली जा रही अनाप शनाप फीस पर सवाल उठाते हुए इसकी शिकायत लेकर स्वास्थ्य विभाग पहुंच रहे है। जहां शिकायत की जा रही है कि कोरोना काल के नाम पर इन अस्पतालों में लूटने का काम किया जा रहा है। जो पूरी तरह से गलत है और मनमानी कमाई की जा रही है। वही अब रोज के मिल रहे इन शिकायतों को स्वास्थ्य विभाग ने गंभीरता से लिया है और चयनित अस्पतालों को नोटिस थमाकर हिसाब का ब्यौरा मांगा है। नोटिस में साफ किया गया है कि यदि तीन दिन के भीतर उपचार का हिसाब नहीं देते है तो अस्पतालों को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया जाएगा।
अधिकारी यह तो मान चुके हैं कि उपचार के नाम पर ज्यादा कमाई की जा रही है। इसलिए नोटिस में साफ किया गया है कि अब तक कितने संक्रमितों का उपचार किया गया है उनका लिस्ट मोबाइल नंबर समेत दिया जाए। साथ ही उपचार के लिए साधारण बेड, आइसीयू, वेंटीलेटर व अन्य सुविधाओं के लिए कितनी राशी ली जा रही है उसकी जानकारी दी जाए। इन जानकारी के हिसाब से संक्रमित मरीज से पुछताछ कर मामले के तह तक जाएगी।
10 दिन का खर्चा डेढ़ से दो लाख तक
शहर का एक बडा निजी अस्पताल प्रबंधन ने मौजूदा स्थिति का फायदा उठाने के लिए सभी प्रकार के उपचार को बंद करते हुए सिर्फ कोरोना संक्रमितों का उपचार कर रहे है। जहां बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमित से एक दिन के हिसाब से 10 हजार रुपये चार्ज किया जा रहा है। एक लाख रुपये तक पहले ही जमा करवा लिया जा रहा है। इसके बाद 10 से 12 दिन तक उपचार करने का खर्च कम से कम डेढ से दो लाख रुपये तक बताते हुए अवैध कमाई की जा रही है।
गरीब संक्रमितों की हालत बिगड़ी
कोरोना से पीडित होने वाले ऐसे गंभीर मरीज जिनकी हालत खराब है, उन्हें विवश होकर निजी अस्पतालों में भर्ती होना पड़ रहा है। ऐसे में गरीब मरीजों को रुपये का व्यवस्था करना पड़ रहा है। ऐसे में कई मरीजों को ब्याज में पैसे लेने के साथ सामान गिरवी रखने तक के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
करेंगे औचक निरीक्षण
निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी औचक निरीक्षण करेंगे और इस दौरान मरीज के परिजन से मुलाकात कर जानकारी लेंगे। इसके अलावा आवश्यक कागजों का अवलोकन किया जाएगा। जिसमें गड़बड़ी मिलते ही तत्काल इसकी जानकारी आला अधिकारियों को दी जाएगी। इसके बाद तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
निजी अस्पतालों को कोरोना संक्रमितों के उपचार की अनुमति दी गई है, लेकिन शिकायत मिल रही है कि वे उपचार के नाम पर अनाप शनाप वसूली कर रहे है। वहीं अब ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नोटिस थमाकर कर हिसाब का ब्यौरा मांगा गया है। गड़बड़ी मिलने पर ऐसे अस्पतालों को तत्काल सील कर दिया जाएगा।
- डॉ. प्रमोद महाजन, सीएमएचओ, बिलासपुर