केंद्र सरकार के विरोध में 26 नवंबर को एक दिवसीय हड़ताल की तैयारी शुरू
केंद्र सरकार के विरोध में 26 नवंबर को एक दिवसीय हड़ताल की तैयारी शुरू
कोरबा 19 नवंबर। केंद्र सरकार की नीति को मजदूर, किसान व उद्योग विरोधी बताते हुए केंद्रीय मान्यता प्राप्त संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच ने 26 नवंबर को एक दिवसीय देश व्यापी हड़ताल का आव्हान किया है। छत्तीसगढ़ संयुक्त यूनियन मंच की अगुवाई में किसान और मजदूर हड़ताल की तैयारी में जुट गए हैं।
केंद्र सरकार के श्रम संहिता व वेज कोड लागू करने का श्रमिक संघ प्रतिनिधि विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार मजदूरों को कानूनी अधिकार से वंचित कर कार्पोरेट सेक्टर को फायदा पहुंचाने के लिए कानून में बदलाव कर रही है। इससे भविष्य में मजदूर वर्ग को नुकसान होगा। इसी तरह कृषि कानून में बदलाव कर किसानों को क्षति पहुंचाई जा रही है। एटक के राज्य महासचिव हरिनाथ सिंह का कहना है कि केंद्र की नीति के खिलाफ संयुक्त ट्रेड यूनियन ने 26 नवंबर को एक दिवसीय हड़ताल का आव्हान किया है। एनडीए ने संविधान के मूल प्रस्तावना व जनतांत्रिक अधिकारों के विरुद्ध अपने सुविधा व अवसर के अनुसार एक के बाद एक हमले करती जा रही है। इसका असर मेहनतकश मजदूरोंए अन्ना्?दाता किसान व युवाओं के अधिकारों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि किसान विरोधी कृषि कानून को भी बिना किसी चर्चा व मत विभाजन के जबरन पास करा लियाए इसके विरूद्ध देश के किसान सड़कों पर उतर चुका है। देश के सार्वजनिक उद्योगों को वित्तीय संस्थानों रेलवे शिक्षण संस्थानोंए खदान व सभी प्रकार की सरकारी संस्थानों को निजी उद्योगपतियों के हाथों में बेच रही है। यही वजह है कि केंद्रीय मान्यता सभी ट्रेड यूनियन को एक मंच पर आकर आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है। एक दिवसीय हड़ताल के बाद भी केंद्र पुनर्विचार नहीं करती है तो भविष्य में उग्र आंदोलन किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में स्थित सभी सार्वजनिकए राज्य शासन के उपक्रम व शासकीय कार्यालयों में हड़ताल की जाएगी। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। हरिनाथ ने कहा कि नगरनार स्टील प्लांट को निजीकरण को रोकने व हड़ताल को सफल बनाने के लिए जगदलपुर में 22 नवंबर को बैठक आयोजित की गई है। इसमें किसानए राजनीतिक दलए श्रमिक संगठन के साथ नौजवान शामिल होंगे।
एटक महासचिव हरिनाथ सिंह ने बताया कि देश के 140 किसान संगठन के संयुक्त आव्हान पर किसान 26 व 27 नवंबर को दिल्ली में धरना देंगे। इस दौरान किसान बिल को वापस लेने की मांग की जाएगी। साथ ही मजदूर विरोधी श्रम कानूनए सरकारी संपत्तियों की निजीकरण का भी विरोध करेगा। यह पहली बार होगा जब किसान व मजदूर एक साथ मिलकर केंद्र की किसान मजदूर युवा व संविधान विरोधी कार्यो के विरुद्ध सड़क में उतरेगे।