नदिया के उस पार काले हीरे की चल रही चोरी
न्यूज एक्शन। कोरबा जिला जहां एक ओर अपनी कोयला खदानों से होने वाले उत्पादन के लिए अलग पहचान बनाई हुई है वहीं इन खदानों से होने वाली चोरी को रोकने का प्रयास सफल नहीं हो पा रहा है। बताया जा रहा है कि एक बार फिर कोयला तस्करों का खेल नदी उस पार शुरू हो गया है और छोटे पैमाने पर इक_ाकर बड़े पैमाने पर बेच दिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि इस कारोबार को पुराने लोग ही अंजाम दे रहे है और एक लंबे अरसे से तस्करी के खेल में माहिर माने जाते है।
कोरबा जिले में एक लंबे अरसे से कोयला चोरी और तस्करी पर अंकुश लगा हुआ था। इसके पीछे पुलिस के सख्ती को बताया जाता है, लेकिन अब एक बार फिर एसईसीएल की बांकी मोंगरा , सुराकछार और ढेलवाडीह की खदान से कोयला चोरी का सिलसिला शुरू हो गया है। चूंकि उपरोक्त खदानों से कोयला अच्छी क्वालिटी का निकलता है और इसकी मांग खुले बाजार में बनी हुई है। भूमिगत खदान होने के कारण कोयले की क्वालिटी में ऊपर नीचे होने का सवाल ही नहीं होता। खुले बाजार में इसकी ज्यादा मांग बनी हुई है।
सूत्रों का कहना है कि एसईसीएल की बांकी मेांगरा, सुराकछार, और ढेलवाडीह खदान से बोरियों में कोयले की चोरी की जाती है और उन्हें सुराकछार हेलीपेड के पास इक_ा किया जाता है। बताया जाता है कि चोरी के कोयले को बोरियों में रखा जाता है। उक्त कोयले को ट्रेलर में भरकर दूसरे जिले में बेच दिया जाता है। यह स्थिति पिछले एक पखवाड़े से शुरू हो गई है। बताया जाता है कि इस काम को अंजाम देने वाले शातिर लोग पहले भी इस कारोबार से जुड़े रहे है और इन्ही लोगों द्वारा उसे अंजाम दिया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि इसमें एसईसीएल के अधिकारियों से लेकर पुलिस विभाग के कुछ लोगों की भी मिलीभगत है और पूरा कारोबार सेंटिग पर चल रहा है। बताया जाता है कि तस्करी का कोयला बिलासपुर में खपाया जा रहा है । हाल में एक पीकप को पाली पुलिस ने पकड़ा था। जिसमें कोयला लोड था और बिलासपुर ले जाया जा रहा था। शायद वह पुलिस के हाथ भी नहीं लगता। लेकिन वाहन का चक्का निकल जाने के कारण वह पकड़ में आ गया।