जनता पूछे सवाल: चुनावी साल में ही क्यों बहती है विकास की गंगा?
कोरबा। चुनाव से ऐन पहले विकास कार्यो की गंगा बहनी शुरू हो जाती है। पद मिलने के चार साल तक जनप्रतिनिधियों को विकास की याद नहीं आती। चुनावी वर्ष यानि पांचवे साल में धड़ाधड़ विकास कार्यो के भूमि पूजन व शिलान्यास तथा आधे अधूरे विकास कार्यो का लोकार्पण किया जाता है। खासकर कोरबा जिले के कोरबा विधानसभा एवं कटघोरा विधानसभा में कुछ ऐसा ही हाल कुछ दिनों पहले नजर आया है। जहां कुछ पुराने कार्यो को भी नए विकास कार्यो में जोड़ दिया गया है। आम जनता में यह सवाल रह-रह कर उठ रहा है कि आखिर चुनावी साल में ही नेताओं को जनता के लिए विकास कार्यो की याद क्यों आती है?
कटघोरा में जिले के एक मात्र भाजपा विधायक लखनलाल देवांगन को जनता ने चुना है। उनकी इस अप्रत्याशित जीत के लिए शासन ने उन्हें संसदीय सचिव का पद भी दिया है। इसके बाद भी पिछले विधानसभा चुनाव के चार सालों तक क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हुए या कहें कि कछुए के चाल से विकास कार्य संपादित किए गए। चुनावी साल में कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में संसदीय सचिव लखनलाल देवांगन ने धड़ाधड़ विकास कार्यो के भूमिपूजन, शिलान्यास व लोकार्पण किए है। संसदीय सचिव द्वारा चुनावी साल में अरबो के विकास कार्यो की सौगात कटघोरा विधानसभा क्षेत्र की जनता को दिया गया है। आचार संहिता लागू होने से पहले तक पिछले कुछ माह से संसदीय सचिव गड्ढा खोदने, पत्थर गाडऩे और फीता काटने में मशगुल रहे। ऐसा ही हाल कोरबा विधानसभा क्षेत्र का भी है। कोरबा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के विधायक जयसिंह अग्रवाल का कब्जा है। नगरीय निकाय नगर निगम में उनकी धर्मपत्नी महापौर है। इस लिहाज से चुनाव के पिछले चार सालों तक विकास कार्यो की गति मंद थी। इसके पिछे विधायक और महापौर फंड नहीं होने का रोना रोते हुए राज्य शासन पर आरोप मढ़ रहे थे। जैसे ही चुनावी साल की शुरूआत हुई वैसे ही नगर निगम के हाथ अलादीन का जादुई चिराग लग गया, जिसे घिसते ही फंड की कमी दूर हो गई। नगर निगम क्षेत्र में महापौर एवं शहर विधायक द्वारा विकास कार्यो के भूमिपूजन, शिलान्यास एवं लोकार्पण की झड़ी लगा दी गई। जो आम जनता में चर्चा का विषय बना हुआ इस बात की चर्चा बनी हुई है कि महापौर अपने पति को विधानसभा चुनाव में लाभ पहुंचाने के लिए विकास कार्यो को गति दे रही है। आम जनता यह जानना चाह रही है कि आखिर चुनावी साल में ही विकास कार्यो की गंगा क्यों बह जाती है। ऐसे विकास कार्य ही सत्ता परिवर्तन के बाद या तो अटक जाते है या फिर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते है। जिसका फायदा आम जनता को तनिक भी नहीं मिलता। चुनाव के बाद से अगर विकास कार्यो को समुचित ढ़ंग से संपादित किए जाते तो पांच वर्षो में चौतरफा विकास नजर आता। जनता तो यह भी मानती है कि अगर जनप्रतिनिधि ऐसा करते तो उन्हें चुनाव के समय जीतने के लिए प्रचार-प्रसार ही नहीं करना पड़ता। विकास के बूते जनता एक बार फिर उन्हें ही मौका देती।
रामपुर व पाली तानाखार भगवान भरोसे
कोरबा जिले के कटघोरा एवं कोरबा विधानसभा क्षेत्र में जहां चुनावी वर्ष में विकास की गंगा बही है। वहीं इस विकास की धारा से जिले का रामपुर व पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र अछूता ही रहा है। विकास की धारा के छींटे तक इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में नहीं पड़े है। दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक है। पाली तानाखार में रामदयाल उइके एवं रामपुर विधानसभा क्षेत्र में श्यामलाल कंवर विधायक है। चूंकि राज्य में भाजपा की सरकार है । दोनों विधायकों के पास अपनी विधायक निधि के अलावा और कोई फंड नहीं है जिससे वे विकास कार्य को संपादित कर सके। लिहाजा इन दोनों क्षेत्रों में विकास की कछुआ गति चाल ने दोनों विधायकों की छवि भी जनता के बीच धूमिल कर दी है। विकास कार्य नहीं होने से दोनों विधायकों के छवि पर प्रतिकूल असर पडऩे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। हालांकि दोनों विधायकों ने अपनी विधायक निधि से जितना संभव हो सका है विकास कार्य करने का प्रयास किया है।