त्यौहारी सीजन में छापेमारी, आक्रोशित व्यापारी
न्यूज एक्शन। जिले में त्यौहारी सीजन आते ही अधिकारियों को दुकानों में छापामारी की याद आती है और उसके बाद फिर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। चाहे व प्लास्टिक का मामला हो या नकली खोवा और हानिकारक रंगों का प्रयोग मिठाईयों में किए जाने की बात हो। इस दौरान की जाने वाली कार्रवाई को लेकर व्यापारियों में आक्रोश है। क्योंकि त्यौहारी सीजन में छापेमारी से धंधा प्रभावित होने का खतरा बना रहता है। व्यापारियों का कहना है कि कार्रवाई करना है तो साल भी की जानी चाहिए सिर्फ त्यौहार के समय करने का क्या मतलब है। कहीं इसके पीछे कुछ और तो राज नहीं छिपा हुआ है।
दशहरा नजदीक है और 20 दिन बाद दिपावली का त्यौहार आने वाला है चूंकि त्यौहारी सीजन में मिठाईयों एवं अन्य खाद्य सामग्रियों की बिक्री अधिक होती है और इसका स्टॉक व्यापारियों द्वारा रखा जाता है। इस दौरान होटल व्यवसायी से लेकर नमकीन का कारोबार करने वाले लोगों द्वारा थोक के भाव में सामग्री का निर्माण किया जाता है। होटलों में मिठाईयां बनाने के लिए खोवा बेसन मैदे का उपयोग किया जाता है। चूंकि ऐसे समय नकली खोवा की आपूूर्ति अधिक होने की संभावना बनी रहती है। हालंाकि ऐसा नहीं है कि बाजार में नकली खोवा या सिथेंटिक खोवा का उपयोग नहीं किया जाता है। लेकिन उस दौरान कोई छानबीन नहीं की जाती और त्यौहार का समय आते ही छापामारी शुरू कर दी जाती है। इसी तरह प्रतिबंधित प्लास्टिक की बिक्री खुलेआम की जा रही है और उसका उपयोग भी हो रहा है। पिछले दो दिनों से प्लास्टिक की बिक्री करने वालों के यहा छापेमारी की जा रही है। इसी तरह की छापेमारी कल ईतवारी बाजार में की गई। ठीक है प्रतिबंधित प्लास्टिक की बिक्री की जा रही थी तो कार्रवाई करना लाजमी है लेकिन सिर्फ त्यौहार के समय ही क्यों कार्रवाई की जाती है यह बात लोगों के गले नहीं उतर रही है कहीं इसके पीछे कुछ और खेल तो नहीं है। इस बात को लेकर जिले के व्यापारियों में खासा आक्रोश देखा जा रहा है और व्यापारियों का यह मानना है कि अधिकारियों द्वारा उन्हें परेशान करने के लिए छापामारी की जा रही है। अगर यहीं रवैय्या रहा तो व्यापारी सड़क पर उतर जाएगें और आंदोलन का रास्ता अपना सकते है। व्यापारियों में लगातार आक्रोश बढ़ रहा है। जिसके कारण अधिकारियों को विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है।
खुलेआम हो रहा प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग
कोरबा शहर में अधिकांश होटलों एवं ठेलों में खुलेआम प्लास्टिक के डिस्पोजल में चाय की बिक्री की जाती है इतना ही नहीं खुलेआम प्लास्टिक डिस्पोजल ग्लास एवं अन्य सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। उस पर कार्रवाई नहीं की जाती। क्या इनसे कानून का उल्लघंन नहीं हो रहा है या जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है। यहां तक की कई अधिकारी खुद डिस्पोजल का उपयोग करते देखे गए लेकिन उसके बाद भी संबंधित व्यक्ति के विरूद्ध कार्रवाई नहीं करना कई प्रकार के संदेहों को जन्म दे रहा है। सिर्फ बिक्री रोकने से काम नहीं चलेगा । अधिकारियों को चाहिए कि इस प्रकार की सामग्री का निर्माण करने वाली संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, और जब आपूर्ति ही नहीं होगी तो फिर उसकी बिक्री कैसे की जा सकेगी। कार्रवाई करना है तो सभी के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और मुंह देखकर कार्रवाई करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता।
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