लिंगियाडीह में करोड़ों के सरकारी जमीन घोटाले कि सुगबुगाहट .. जाँच की बात से भू माफियाओं की धड़कनें तेज, बड़े अधिकारियों के नामों का हो सकता है खुलासा
बिलासपुर—राजस्व विभाग की सक्रियता के बाद लिंगियाडीह में भू माफियों की होश उड़ने लगे हैं। एक बार फिर राजस्व विभाग सुर्खियों में है। लेकिन इस बार राजस्व अधिकारी भू माफियों पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। कलेक्टर के निर्देश और एसडीएम जांच आदेश के बाद भू माफियों की बेचैनी बढ़ गयी है। जानकारी के अनुसार कार्रवाई और जांच से बचने भू माफियों ने उच्च स्तर पर हाथ पांव मारना शुरू कर दिया है।
भदौरा जमीन घोटाला के बाद एक बार फिर राजस्व विभाग सुर्खियों में आने को तैयार है। खासकर बिल्हा तहसीलदार पर निलंबन कार्रवाई के बाद भू माफियों के साथ अधिकारियों की धड़कने बढ़ गयी है। जानकारी के अनुसार अब लिंगियाडीह में कभी भी जमीन घोटाला का विस्फोट हो सकता है। विस्फोट में राजस्व विभाग के अधिकारियों का नाम सामने आना निश्चित है। जो इस समय बड़े बड़े पदों पर काबिज है या फिर रिटायर्ड हो चुके हैं।
बताते चलें कि कुछ साल पहले भदौरा काण्ड के नाम से जमीन घोटाला सामने आया था। इस घोटाले के बाद प्रदेश की सियासत में हलचल मच गयी थी। अभी कुछ दिनों पहले ही प्रदेश के राजस्व मंत्री ने बिल्हा स्थित पेन्ड्रीडीह में 26 एकड़ सरकारी जमीन घोटाले की जानकारी के बाद बिल्हा तहसीलदार को निलंबित किया है। कार्रवाई के बाद लिंगियाडीह में सरकारी जमीन हड़पने वाले भू माफियों में धड़कने बढ़ गयी है।
सूत्रों के अनुसार लिंगियाडीह में करोड़ों रूपयों की जमीन घोटाला का विस्फोट कभी भी हो सकता है। बताते चलें कि भूमाफियों ने लिंगियाडीह स्थित दो खसरा नम्बर की शासकीय जमीन में हेरफेर कर करोड़ों रूपयों की बंदरबांट की है।
सूत्र ने बताया कि भू माफियों ने पुराने अधिकारियों से मिली भगत कर अधिग्रहण की गयी निजी जमीन को हवा में उडाकर एक किलोमीटर दूर सरकारी जमीन में बैठा दिया है। जबकि हवा में उड़ने वाली जमीन फिलहाल अपोलो के पास एसईसीएल की सम्पत्ति के रूप में है। अधिग्रहण की गयी जमीन को हवा में उछालकर एक किलोमीटर दूर सरकारी जमीन में बैठाने के खेल में भू माफियों ने शासन को करोड़ों रूपयों का राजस्व का घाटा किया है। यह राशि दस या बीस करोड़ नहीं इससे अधिक हो सकती है।
दरअसल भूमाफियों ने जिस जमीन को हवा में उठाकर एक किलोमीटर दूसर सरकारी जमीन में बैठाया है। किसी समय वह जमीन निजी सम्पत्ति थी। मुआवजा वितरण के बाद जमीन एसईसीएल के संरक्षण में आ गयी। बहरहाल मामले में शिकायत के बाद एसडीएम प्रशासन ने कलेक्टर के निर्देश पर जांच का आदेश दिया है।
बताते चलें कि आदेश के करीब एक महीने बाद जांच टीम गठन किया गया। लेकिन अभी तक जांच की कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। इससे समझा जा सकता है कि भूमाफियां किस हद तक प्रशासन पर भारी पड़ रहे है। बहरहाल दबाव से निकलने की कोशिश में तहसीलदार ने 21 दिसम्बर को जांच की तारीख का एलान किया है। देखने वाली बात होगी कि क्या टीम दबाव से बाहर निकलकर करोड़ों रूपए की सरकारी जमीन को बचाने में कामयाब होती है। क्योंकि भू माफियों ने जांच से बचने के साथ ही जमीन और खुद को बचाने रायपुर में लगातार हाथ पैर मार रहे हैं।
जानकारी मिल रही है कि जैसे जैसे 21 दिसम्बर की तारीख करीब आ रही है भू माफियों की धड़कने बढ गयी है। जांच को हर संभव रूकवाने दबाव बना रहे हैं। जबकि उन्हें अच्छी तरह से मालूम है कि जमीन घोटाला का सारा दस्तावेज सुरक्षित हाथों में है। जांच कार्रवाई के बाद घोटाला विस्फोट होना निश्चित है।
अन्दर खाने से मिली जानकारी के अनुसार जांच की सच्चाई के बाद भू माफियों के साथ उन अधिकारियों पर गाज गिरना निश्चित है..जिन्होने महाघोटाले को अंजाम दिया है। जो इस समय प्रमोशन के बाद बड़े पदों पर काबिज हैं। अब वही अधिकारी खुद के साथ भू माफियों को बचाने में एड़ी चोटी का दम लगा रहे हैं। बताते चलें कि इसमें पंचायत का एक बहुत बड़ा नाम भी सामने आ रहा है। सूत्रों की माने तो घोटाले में एक पुराना एसडीएम का रिश्तेदार भी शामिल है।