November 22, 2024

अपने गढ़ में कमजोर नजर आ रही कांग्रेस

न्यूज एक्शन। कोरबा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की मजबूत स्थिति इस बार कमजोर नजर आ रही है। अब तक के चुनाव प्रचार एवं मौजूदा विकास कार्यों के आधार पर किए जा रहे राजनैतिक आंकलन में कांग्रेस की हालत पतली लग रही है। भाजपा और जकांछ के बाद कांग्रेस पर तीसरे पायदान का खतरा मंडरा रहा है। दो विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराने वाले कांग्रेस के लिए मौजूदा विधानसभा चुनाव में अपने साख के अनुरूप परिणाम ला पाना मुश्किल नजर आ रहा है।
जिले की कोरबा विधानसभा का अस्तित्व 2008 में परिसीमन के बाद आया और उसके बाद से लगातार दो बार कांग्रेस के विधायक के रूप में जयसिंह अग्रवाल चुने गए। इस कारण यह सीट अब हाईप्रोफाईल हो गई है। यह सीट दो विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को देखते हुए कांग्रेस का गढ़ माना जाने लगा था। कांग्रेस के इस गढ़ को पिछले लोकसभा चुनाव में डॉ. बंशीलाल महतो ने भेद दिया था। कोरबा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी डॉ. महतो ने लगभग 19 हजार से अधिक की बढ़त हासिल की थी। इस लिहाज से कांग्रेस के किले में सेंध लगाने वाले डॉ. बंशीलाल महतो के सुपुत्र विकास महतो को इस बार पार्टी ने अपना प्रत्याशी चुना है। पिता की तरह पुत्र भी राजनीति में माहिर माने जाते रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में पिता के चुनावी प्रचार प्रसार का जिम्मा विकास महतो ने ही पर्दे के पीछे से बखूबी संभाला था। इस बार वे खुद चुनावी मैदान में हैं। रणनीति का पर्दा हट चुका है। अब वे फुल फ्लैस के साथ एक्शन मोड में हैं। लिहाजा इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी से कांग्रेस को कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। वहीं कांग्रेस से अलग होकर जोगी की पार्टी ने भी दमदार तरीके से राजनीति में एंट्री की है। जकांछ ने कोरबा सीट से रामसिंह अग्रवाल को प्रत्याशी घोषित किया है जो कोरबा विधानसभा सीट में सबसे पहले से ही सक्रिय हो गए थे। पार्टी ने उन्हें अपनी पहली ही लिस्ट में प्रत्याशी चुन लिया था। इसके बाद से रामसिंह अग्रवाल का चुनावी जनसंपर्क अभियान शुरू हो गया था जो अब तक जारी है। इस लिहाज से प्रचार के मामले में भाजपा एवं जकांछ कांग्रेस से आगे नजर आ रही है। इस सीट पर कांग्रेस से जयसिंह अग्रवाल का नाम फाइनल जरूर था, लेकिन लिस्ट जारी करने में कांग्रेस पिछड़ गई थी। मुद्दोंं और विकास के मामले में भी कांग्रेस का पलड़ा हल्का नजर आ रहा है। क्योंकि विधानसभा क्षेत्र में दो बार कांग्रेस का राज रहा है। मौजूदा नगरीय निकाय चुनाव में विधायक जयसिंह अग्रवाल की धर्मपत्नी रेणु अग्रवाल कांग्रेस से महापौर हैं। इस लिहाज से विकास का पैमाना इन दोनों के कार्यों से आंका जा रहा है। ऊर्जाधानी कोरबा में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। मूलभूत सुविधा को लेकर विपक्ष जहां साकेत में हल्ला बोल करता रहा है, वहीं विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी मौजूदा विधायक पर विकास कार्यों को बखूबी अंजाम नहीं देने का ठिकरा फोड़कर अपने पक्ष में वोट मांग रहे हैं। इन सभी तरह की राजनीतिक आंकड़ों के लिहाज से मौजूदा समय में कांग्रेस तीसरे पायदान पर नजर आ रही है। अब देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस अपने गढ़ में कैसे पुन: वापसी कर सत्ता में काबिज होती है।

तीनों विधानसभा में स्थिति एक जैसी
कोरबा विधानसभा में जहां कांग्रेस की हालत पतली नजर आ रही है। वहीं जिले की तीन अन्य सीटों पर भी कांग्रेस का कुछ ऐसा ही हाल बना हुआ है। बात की जाए पाली-तानाखार की तो मौजूदा विधायक रामदयाल उइके के पार्टी छोडऩे के बाद कांग्रेस कमजोर हो गई है। इस सीट पर भी कांग्रेस का पायदान भाजपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और जकांछ के बाद माना जा रहा है। राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो कमोबेश कटघोरा और रामपुर विधानसभा क्षेत्र में भी यही स्थिति बनी हुई है। कटघोरा में मौजूदा विधायक एवं भाजपा प्रत्याशी लखन लाल देवांगन के सामने कांग्रेस अपने भितरखाने से ही जूझती नजर आ रही है। कटघोरा में जकांछ प्रत्याशी गोविंद सिंह राजपूत ने भी जमकर दमदारी दिखाई है। इस सीट पर लखन लाल देवांगन, गोविंद के मुकाबले कांग्रेस का पुरूषोत्तम कमतर ही नजर आ रहा है। रामपुर विधानसभा सीट पर वर्ष 2013 रिपीट हो गया है। कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार पिछली बार की तरह ही श्यामलाल कंवर और ननकीराम कंवर हैं। क्षेत्र में जिस तरह से विकास कार्य की मंद गति रही है उसका खामियाजा कांग्रेस को इस सीट पर भुगतना पड़ सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी लगातार जनमुद्दों को उठाए जाने के कारण ननकी की स्थिति मजबूत मानी जा रही है। जकांछ प्रत्याशी फूल सिंह राठिया को अगर राठिया समाज का पूरा समर्थन मिल गया तो रामपुर का चुनाव परिणाम उलटफेर करने वाला होगा।

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