November 22, 2024

किसान रैली में गड़बड़ी फैलाने पाकिस्तान कर रहा साजिश, दिल्ली पुलिस ने जताई चिन्ता

नई दिल्ली 25 जनवरी। गणतंत्र दिवस पर किसानों को ट्रैक्टर रैली के लिए दिल्ली पुलिस ने अनुमति तो दे दी। लेकिन पुलिस इस बात को लेकर चिंता में है कि रैली के भीतर हिंसक तत्व कोई भी अप्रिय वारदात को अंजाम दे सकते है। कई किलों मीटर लंबी ट्रेक्टर रैली के लिए दिल्ली पुलिस ने तीन रूटों की आधिकारिक मंजूरी दे दी है। इसके तहत राजपथ की मुख्य परेड खत्म होने के बाद टीकरी, सिंघु और गाजीपुर सीमा से ट्रैक्टरों को दिल्ली में प्रवेश दिया जाएगा। दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर इंटेलिजेंस दीपेंद्र पाठक ने किसानों के साथ रैली का रूट मैप तय किया। उन्होंने कहा कि रैली का शांति पूर्ण संचालन बड़ी चुनौती है। इसके लिए दिल्ली के साथ यूपी और हरियाणा पुलिस पुख्ता सुरक्षा इंतजाम करेगी, किसान संगठनों को भी सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

टीकरी व सिंघु सीमा से 62 किलोमीटर के रूट से किसान दिल्ली में 10 किलोमीटर दाखिल होंगे। इसके बाद संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर, बवाना, कंझावला, कुतुबगढ़ होते हुए औचंदी सीमा पहुंचेंगे, फिर हरियाणा में दाखिल होंगे और वापस सिंघु सीमा जाएंगे।टीकरी सीमा से किसान नांगलोई जाएंगे। वहां से बपरोला होते हुए नजफगढ़ रोड और झरोदा सीमा से रोहतक बाइपास (बहादुरगढ़) पहुंचेंगे। वहां से असोदा के रास्ते ट्रैक्टर वापसी टीकरी पहुंचेंगे। गाजीपुर सीमा से रैली 46 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। पहले अप्सरा सीमा, फिर हापुड़ रोड होते हुए आईएमएस कॉलेज में लाल कुआं होते हुए वापस गाजीपुर सीमा पर पहुंचेंगे। वहां चिल्ला सीमा पर बैठे किसान ट्रैक्टर लेकर गाजीपुर जाएंगे और रैली में शामिल होंगे।

उधर किसान आंदोलन को लेकर पाकिस्तान में हफ्ते भर में 308 ट्विटर हैंडल के सामने आने के बाद पुलिस की चिंता बढ़ गई है। इस बीच पुलिस का दावा है कि रैली में गड़बड़ी फैलाने के लिए पाकिस्तान साजिश कर रहा है। इसके लिए पाकिस्तान में 13 से 18 जनवरी के बीच 308 ट्विटर हैंडल बने हैं।इधर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी अंदेशा जाहिर किया कि कोई अदृश्य ताकत है, जो नहीं चाहती कि किसानों की समस्या का हल निकले। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े हैं और इनके फायदों पर चर्चा भी नहीं करते। कोई अदृश्य ताकत है जो चाहती है कि ये मसला हल न हो क्योंकि बातचीत के अगले ही दिन किसानों के सुर बदल जाते हैं। हालांकि उन्होंने इन ताकतों के बारे में पूछे जाने पर कुछ नहीं बताया।

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