ग्राम रांपाखर्रा पहुंच मार्ग वर्षों से आवाजाही के लिए दो फीट के पुल के भरोसे
कोरबा 1 फ रवरी। मानिकपुर कोयला खदान की डंपिंग यार्ड के कारण शहर के निकट ग्राम रांपाखर्रा पहुंच मार्ग बंद हो चुका है। ऐसे में ग्रामीणों को गांव के निकट नाला पर बने वैकल्पिक जर्जर पुल से आवागमन करना पड़ रहा है। डंपिंगयार्ड की मिट्टी का दायरा अब स्कूल से कुछ दूरी तक ही रह गई है। खदान में होने वाली विस्फ ोट से स्कूल व घरों में जगह-जगह दरार आ चुकी है। असुरक्षित जीवन जी रहे ग्रामीणों के व्यवस्थापन की सुविधा अब तक नहीं की जा सकी है।
खदान प्रभावित गांवों को किस तरह विकट कठिनाईनयों का सामना करना पड़ रहा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण शहर के निगम क्षेत्र लगे ग्राम रांपाखर्रा में देखा जा सकता है। गांव पहुंचने के लिए जिस मुख्य मार्ग में से आवागमन होता था उसमें एसईसीएल ने मिट्टी डंप कर दिया है। ग्रामीणों के विरोध से बचने के लिए नाले पर लोहे की पुल बनाई गई है। पुल जर्जर होने की वजह से लोहे के प्लेट में लगे बोल्ट कई स्थानों से ढीले हो चुके हैं। पुल के उपर चलने से वह हिलने लगता है। एक मात्र मार्ग होने से पैदल और मोटर सायकल से आवागमन करने वालों के लिए जोखिम लेकर गांव पहुंचना मजबूरी है। दूसरी समस्या मानिकपुर खदान से लगातार हो रहे कोयला उत्पादन से डंपिंग यार्ड का विस्तार है। पुनर्वास सुविधा नहीं मिलने से ग्रामीण असुरक्षा के दायरे में जीवन बसर करने को मजबूर हैं। कोयला उत्खनन के लिए खदान में प्रत्येक घंटे दो घंट के अंतराल में विस्फ ोट किया जाता है। यहां के घरों व स्कूल में दरार आ चुकी है। समस्याओं से घिरे ग्रामीणों के लिए पहुंच मार्ग में बने आपात कालीन स्थिति से निपटने के लिए ग्रामीणों को खासी समस्याओं को सामना करना पड़ता है। गांव तक संजीवनी एक्सप्रेस अथवा चिकित्सा से संबंधित अन्य वाहनों का पहुंचना असंभव है। प्रसव की स्थिति में ग्रामीणों को अपने संबंधियों के घर शरण लेना पड़ता है। आवश्यकता पड़ने पर खदान मार्ग से वाहन ले जाने में कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। गांव में अभी तक एक भी आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन नहीं किया जा रहा है। स्थानीय लोगों को निकटवर्ती गांव भिलाई खुर्द के केंद्र पर निर्भर रहना पड़ता है। केंद्र संचालन नहीं होने से यहां के बच्चे पोषण आहार से वंचित रहते हैं इसके अलावा टीकाकरण व केंद्र संचालित अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। केंद्र संचालन के लिए कई बार महिला बाल विकास विभाग को अवगत कराया जा चुका है।