November 7, 2024

न्यू कोरबा हॉस्पिटल में एक और मौत, फीस के लिए गंभीर मरीज को समय पर नहीं किया गया रेफर, श्रमिक नेता ने की कार्रवाई की मांग

कोरबा 1 मार्च। न्यू कोरबा हॉस्पिटल कोरबा में भर्ती एक प्रसूता की जान चली गई। उसकी मौत इसलिए हुई क्योंकि प्रसूता के इलाज के चिकित्सा बिल का तुरन्त भुगतान कराने के लिए उसको समय पर अन्य हॉस्पिटल के लिए रेफर नहीं किया गया। परिजनों ने न्यू कोरबा हॉस्पिटल (एनकेएच) के संचालक पर कार्यवाही की मांग करते हुए कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से शिकायत की है।

बालको के वरिष्ठ यूनियन लीडर एस एन बनर्जी की बहू इस बार एन के एच की बेरहमी का शिकार बनी है। विलम्ब से मिली शिकायत में बताया गया है कि बालको नगर निवासी एस एन बैनर्जी ने अपनी पुत्रवधु सुष्मिता बैनर्जी उम्र 26 वर्ष को प्रसव के लिए न्यू कोरबा हॉस्पिटल में 20/2/ 2021 को भर्ती कराया था, जहां उसने 1:00 बजे पुत्री को जन्म दिया। ऑपरेशन के बाद जच्चा बच्चा ठीक हैं, ऐसा परिजनों को हॉस्पिटल द्वारा बताया गया। लेकिन कुछ घंटे बाद प्रसूता को तेज ब्लिडिंग होने लगी। इस बात की जानकारी परिजनों ने अस्पताल कर्मियों को दी। आरोप है कि अस्पताल कर्मियों ने पेशेंट नॉर्मल है कहकर मरीज की सेहत की ओर ठीक से ध्यान नहीं दिया।बाद में, सुबह 8:00 बजे डॉक्टर ने ब्लड मंगाकर प्रसूता को चढ़ाया। शाम 7:00 बजे तक प्रसूता को ब्लड चढ़ाया जाता रहा। इसके बाद हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा लगभग 7:30 बजे बताया गया कि प्रसूता की किडनी काम नहीं कर रही है। उसे जल्द रायपुर के रामकृष्ण हॉस्पिटल रिफर करना होगा। परिजन प्रसूता को ले जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि हॉस्पिटल के किसी वरिष्ठ अधिकारी का फोन हॉस्पिटल कर्मियों के पास आया, जिसके बाद प्रसूता के इलाज में खर्च हुए चिकित्सा बिल का तुरन्त भुगतान करने की बात कही गई। साथ ही कहा गया कि बिल भुगतान के बाद ही प्रसूता को रेफर किया जा सकेगा। परिजनों को अकाउंट सेक्शन जाने की बात कही गई।परिजनों ने अकाउंट सेक्शन में जाकर मरीज का इलाज इंश्योरेंस कंपनी के माध्यम से होने की जानकारी दी। प्रसूता के ससुर एस एन बैनर्जी ने अपनी बहू की हालत ज्यादा बिगड़ती देख अकाउंट सेक्शन के कर्मी से कहा कि आप नगद पैसा जमा करने को कह रहे हैं जिसकी व्यवस्था हमारे द्वारा की जा रही है। लेकिन तब तक मरीज को रेफर कर संबंधित अस्पताल के लिए रवाना करा दीजिए। हम पैसे का प्रबंध करते हैं। लेकिन अस्पताल कर्मियों द्वारा टालमटोल करते हुए परिजनों को घुमाया गया।प्रसूता के ससुर ने किसी तरह अपने एक मित्र से 46 हजार नगद और ऑनलाइन भुगतान करवाया जिसके बाद भी चिकित्सालय द्वारा प्रसूता को रवाना नहीं किया गया। कभी एंबुलेंस नहीं होने की जानकारी दी गई तो कभी स्टाफ नहीं है, बोला गया। इस लेटलतीफी के कारण मरीज की हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी। इसके बाद परिजनों ने अपने परिवार के एक सदस्य से बात कर जानकारी दी। उसने हॉस्पिटल प्रबंधन से बात की और मरीज को तत्काल रवाना करने को कहा। तब तक रात के 10:30 बज चुके थे। परिजनों का आरोप है कि इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने लापरवाही बरतते हुए एक पुराना छोटा एंबुलेंस से रात 10:40 पर प्रसूता को रायपुर रवाना किया। लेकिन मरीज की हालत बिलासपुर पहुंचते-पहुंचते ज्यादा खराब हो गई, जहां परिजनों ने मरीज को रायपुर ना ले जाकर बिलासपुर अपोलो अस्पताल में भर्ती कराने का निर्णय लिया। प्रसूता को अपोलो ले जाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। प्रसूता की जान जा चुकी थी। डॉक्टरों ने जांच उपरांत प्रसूता को मृत घोषित कर दिया। जबकि नवजात बच्ची को भर्ती कर अभी भी उसका उपचार किया जा रहा है।

सुष्मिता बैनर्जी की मौत के बाद बालको सीटू के वरिष्ठ यनियन लीडर और सुष्मिता के ससुर एस एन बैनर्जी ने एन के एच यानि न्यू कोरबा हॉस्पिटल के संचालकों के ऊपर जानबूझकर की गई लापरवाही के कारण अपनी पुत्र वधू की मौत होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि भविष्य में दोबारा ऐसी लापरवाही से किसी की जान ना जाए इसलिए इस घटना की जांच कराई जाये और हॉस्पिटल के संचालकों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए।

याद रहे कि न्यू कोरबा हॉस्पिटल में इस प्रकार का यह पहला मामला नहीं है। हॉस्पिटल की लापरवाही से जान जाने के आरोप पहले भी लग चुके हैं, लेकिन हॉस्पिटल प्रबंधन पर कोई कार्यवाही अब तक नहीं हो पाई है। यही वजह है कि अस्पताल प्रबंधन का हौसला लगातार बुलन्द होता जा रहा है। दुखद यह भी है कि जनसेवा का दम्भ भरने वाले लोकतंत्र के कथित स्तम्भ भी अपना कर्तब्य भूल बैठे हैं अथवा निहित स्वार्थवश ऐसे मामलों में चुप्पी साध लेते हैं।

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