प्रभारियों के सहारे कई पंचायतों में 18 महीने से चल रहा सरकारी योजनाओं का काम
कोरबा 6 मार्च। ढाई साल पहले जिले में पंचायतों का पुनर्गठन किया गयाए लेकिन सचिवों की भर्ती नहीं की गई। 412 ग्राम पंचायतों का काम 365 सचिव संभाल रहे है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक सचिव को दायित्व देने का नियम है। सचिवों की भर्ती नहीं किए जाने 47 ग्राम पंचायत प्रभारी सचिव के दम पर चल रहे हैं। प्रभारी सचिव के चलते पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्राम पंचायतों में विकास कार्य बाधित हैं।
ग्राम पंचायतों में भी सचिव है जिन पर दो से तीन गांवों का प्रभार है। ऐसे में पंचायतों में नियमित ग्राम सभा का आयोजन नहीं हो रहा। विकास कार्य के लिए जारी किए जाने वाले मूलभूत व पंद्रहवें वित्त के तहत होने वाले कार्यों में प्रगति नहीं है। मूलभूत के लिए दी गई राशि अधिकांश गांवों में कोरो ना काल के दौरान आने वाले मजदूरों के व्यवस्था में खर्च हो चुके हैं। प्रभारी सचिव के दम पर चलने वाले ग्राम पंचायतों के ग्रामीण ग्राम सभा आयोजन के अभाव में खर्च की गई राशि से अनभिज्ञ हैं। ग्राम विकास के कार्यों के लिए सचिव प्रशासन और जनप्रतिनिधियों आम जन के बीच सेतु का काम करते है। स्थाई नियुक्ति नहीं होने के कारण रोजगार गारंटी, पेंशन, जन्म-मृत्यु पंजीयन जैसे महत्वपूर्ण कार्य गांवो में प्रभावित है। जिन सचिवों को दो से तीन गांव का प्रभार दिया गया है, वे अपने प्रभार के गांवों को छोड़ अपने मूल पदस्थापन वाले गांव को ही वरीयता दे रहे हैं। पंचायतों में व्यवस्था सुधार के संबंध में जिला पंचायत सीइओ को उनके मोबाइल पर संपर्क किया लेकिन उनसे चर्चा नहीं हुई।