December 25, 2024

कविताएँ

कविताएँ
मनुष्य के सुख-दुःख की
सच्ची साथी हैं

जब हर चेहरा
आँखों से ओझल हो रहा होता है

हिलता हुआ हाथ
दूर जाता हुआ दिखता है

मनुष्य के मन-मस्तिष्क
आपस में
संवाद कम करने लगते हैं

तब कविताएँ
अकेले आदमी के पास पहुँचती हैं

उसके कांधे पर
हौसले का हाथ रखती हैं

परेशानियों के पत्थरों को
हटाकर
सुगम राह बनाती हैं

दुःखों के दरिया को
स्नेह के समीर से सोखती हैं

बुझे हुए जीवन में
जागरण की ज्योत जगाती हैं

कविताएँ
रूठी हुई जिंदगी को मनाती हैं।

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