November 22, 2024

जवान की रिहाई से पूर्व नक्सलियों की जन-अदालत तीन घंटे चली, माहौल था- डरावना

■ आरोप प्रत्यारोप के बीच हाथ खड़ा कर जनअदालत ने सुनाया फैसला

जगदलपुर 10 अप्रैल: कोबरा बटालियन के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास की रिहाई के लिए गुरुवार को जनअदालत चिमलीपेंटा पंचायत के आश्रित ग्राम तुमरपारा (तुमला) में लगी थी। यह बसाहट क्षेत्र सुकमा जिले के जगरगुंडा से 12 किमी दूर है। सुकमा जिले के कोंटा तहसील में आने वाले तुमरपारा जिसे तुमला भी कहा जाता है, के करीब अमराई क्षेत्र जहां आम और इमली के पेड़ बहुतायत में हैं, जन अदालत के लिए चुना गया था। वहां आसपास के करीब 20 गांवों के एक हजार से अधिक लोग पहुंचे थे। इनमें 90 फीसद युवा और बच्चे थे, जिनकी उम्र 12 साल से 35 साल के बीच रही होगी। जन अदालत को महिला नक्सली संचालित कर रही थी। करीब डेढ़ दर्जन हथियारबंद नक्सली मौजूद थे जिनमें आधे से अधिक महिलाएं थीं।

जानकारी के अनुसार जवान रिहाई से पहले तीन घंटे से अधिक समय तक जनअदालत में काफी देर तक आरोप-प्रत्यारोप का भी दौर चला था। नाम न छापने की शर्त पर कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जवान की रिहाई के लिए हालांकि नक्सलियों ने कोई शर्त नहीं रखी थी लेकिन आरोप-प्रत्यारोप में कई बातें निकलकर सामने आई हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जन अदालत दोपहर करीब एक बजे शुरू हुई। कुछ देर बाद जन अदालत स्थल से नक्सलियों के बुलावे पर करीब एक किमी दूर तेलम बोरैया और सुखमती हपका को ले जाया गया। वहां अगवा जवान को हथियारबंद नक्सलियों ने रखा था। वहां गोंडवाना समन्वय समिति के इन दोनों पदाधिकारियों की नक्सली नेताओं से चर्चा हुई और कुछ ही देर में दोनों वापस लौट आए। इसके कुछ समय बाद जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को जन अदालत में लाया गया। उनके दोनों हाथ रस्सियों से बांधे गए थे।

मध्यस्थों में शामिल एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि जवान को रस्सी से बंधा देखा तो काफी पीड़ा हुई। जवान भी डरा सहमा रहा। लोगों की भीड़ देखकर माहौल डरावना भी लग रहा था। जवान ने कभी ऐसी जनअदालत नहीं देखी थी इसलिए भी उसके चेहरे में रिहाई होगी या नहीं इसे लेकर तनाव साफ झलक रहा था।

तीन घंटे से अधिक समय तक चली जन अदालत के अंत में जवान की रिहाई की जाए या नहीं, इसके लिए महिला नक्सली ने लोगों से हाथ खड़े कर फैसला सुनाने को कहा। वहां मौजूद अस्सी फीसद से अधिक लोगों ने जवान की रिहाई के पक्ष में हाथ खड़ा कर फैसला सुनाया। वहीं वहां मौजूद कुछ युवा रिहाई के पक्ष में नहीं थे.

जवान की रिहाई के मिशन के लिए जन अदालत में पहुंचे मध्यस्थों पद्मश्री धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज समन्वय समिति बीजापुर जिला के अध्यक्ष एवं दोरला समाज के संभागीय अध्यक्ष तेलम बोरैया, समिति की उपाध्यक्ष एवं ग्राम पंचायत मुरदंडा की पूर्व सरपंच सुखमती हपका व माता रूक्मणी सेवा संस्थान डिमरापाल के अंतर्गत बारसूर आश्रम में शिक्षक रहे जयरुद्र करे के साथ जनअदालत में आधा दर्जन से अधिक स्थानीय पत्रकार मौजूद थे।

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