July 15, 2024

अनकहे रिश्ते@ राजेंद्र रंजन गायकवाड़

समीक्षा- विजय सिंह

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राजेंद्र रंजन गायकवाड़ मिट्टी से उपजे रचनाकार हैं
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कहानी संग्रह : अनकहे रिश्ते
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राजेंद्र रंजन गायकवाड़ बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न रचनाकार हैं! जेल प्रशासक के रूप में उनकी अपनी एक अलग पहचान है! जेल के कैदियों को मुख्य धारा से जोड़ने के उपक्रम के साथ जेल महकमें में संवेदना के बीज अंकुरित करने वालों में राजेंद्र गायकवाड़ जी के कार्यो की सराहना हर कोई करता है । राजेंद्र जी के केन्द्रीय जेल के कार्यो के साथ उनके रचनात्मक कार्यों को भी मैंने पास से देखा है। प्रशासन में बहुत कम लोग एेसे होते हैं जिनकी पहचान लेखन और प्रशासन में एक सी होती है। जो अपने शासकीय कार्यों का संपादन कुशलता से करते हुए लेखक रूप में भी चिन्हे जाते हों, कविता, कहानी, ग़ज़ल और रंगकर्म में समर्पित राजेंद्र जी यारबख्श हैं! उनके आत्मीय व्यवहार में रचना की मासूमियत है तो ग़ज़ल जैसा मन में उतरजाने वाला प्यार ,दरअसल राजेंद्र जी मिट्टी से उपजे व्यक्ति हैं इसलिए उनके स्वभाव में मिट्टी सी सहजता है।

लेखन में हमेशा कुछ नया करने में विश्वास रखने वाले राजेंद्र जी चुप बैठने वालों व्यक्तियों में से नहीं है जेल प्रशासक के रूप में उन्होंने कैदियों के लिए हमेशा नवाचार करते हुए उन्हें मुख्य धारा से जोड़ कर उन्हें आत्मनिर्भर ,कुशल नागरिक बनाने के लिए हमेशा प्रयास किया है। मैंने उन्हें जगदलपुर और अम्बिकापुर के केन्द्रीय जेल में जेल अधीक्षक के रूप काम करते देखा है । सहज, उत्साही राजेंद्र जी कैदियों की प्रतिभा को बखूबी पहचानते हैं ओर उनके जीवन व्यवहार के अनुरूप कार्यक्रम निर्धारित करते हुए कैदियों के लिए विभिन्न सकारात्मक कार्यो से कैदियों को एक जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किये हैं ! उसी तरह से अपने रचनात्मक जीवन में भी भी राजेंद्र जी ने अपने लेखन को जन से जोड़ा है। राजेंद्र जी का पहला कविता संग्रह ‘ खुला आकाश ‘ पाठकों के बीच काफी सराहा गया फिर दूसरे काव्य संग्रह ‘ मुक्ताकाश ‘ में राजेंद्र जी उभर कर सामने आते हैं। मानवीय संवेदनाओं को शब्दों में पिरोकर राजेंद्र जी अपनी मेधा के बल पर जीवन की बेहतरी के लिए लगात प्रयास करते हैं! शोषित – पीड़ित जन के पक्ष में कलम चलाने वाले राजेंद्र जी ने अपने जेल अनुभव को कहानी रूप में पिरोया जो कहानी संग्रह ‘ अनकहे रिश्ते ‘ के नाम से छप कर आया है। इस कहानी संग्रह में लगभग 24 कहानियां संकलित हैं जो जेल जीवन, कैदियों की व्यथा कथा के रूप में मानवीय व्यवहार के साथ ठूठ हो रहे रिश्तों में जीवन – संवेदना भरते हुए मानवीय मूल्यों की पड़ताल करते हुए समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के पक्ष में आवाज़ बुलन्द करते हैं। यह किताब जेल जीवन और वहां रह रहे कैदियों के भावी जीवन संसार को भी संवारता है…..

बहुत बधाई राजेंद्र जी
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विजय सिंह

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