November 22, 2024

एजेंडाबाजों के मुंह पर RSS के स्वयंसेवक का तमाचा

नागपुर 27 अप्रैल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि RSS को कोसना देश में फैशन बन गया है। ऐसे एजेन्डाबाजों के मुँह पर तमाचा है यह समाचार। संघ के स्वयंसेवक कैसे होते हैं, पढ़िए ये खबर-

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि RSS के बचपन से स्वयंसेवक 85 वर्षीय नारायण दाभड़कर पिछले दिनों कोरोना से संक्रमित हो गए। उनकी पुत्री ने काफी भागदौड़ के बाद वहां के इंदिरा गांधी अस्पताल में उनके लिए एक बेड की व्यवस्था की। तब तक उनका ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो गया था। जिस समय उनकी पुत्री की पुत्रवधू उन्हें लेकर अस्पताल गई उस समय वे बड़ी मुश्किल से सांस ले पा रहे थे। अभी हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती करने की औपचारिकताएं पूरी हो ही रही थी कि उनकी नजर एक रोती बिलखती महिला पर पड़ी, जो अपने पति के लिए अस्पताल वालों से एक बेड के लिए विनती कर रही थी। उसके 40 वर्षीय पति को भी तुरंत ऑक्सीजन देने की आवश्यकता थी जो कि कोरोना से संक्रमित था ! वहीं खड़े उसके बच्चे बिलख बिलख कर रो रहे थे !

दाभड़कर काका ने तुरंत निर्णय लेते हुए वहां मौजूद मेडिकल स्टाफ से बड़े ही शांत मन से कहा, “मैं 85 वर्ष का हो चुका हूं, मैंने अपनी जिंदगी जी ली है, आपके पास यदि कोई बेड खाली नहीं है तो मेरे लिए आरक्षित बेड इस महिला के पति को देकर उसकी जान बचाईए, उसके परिवार को उसकी जरूरत है !”

इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी की पुत्रवधू के माध्यम से बेटी को फोन पर अपने निर्णय की जानकारी दी, जिसे उनकी बेटी ने मानव सुलभ ना नुकुर और झिझक के साथ, भारी मन से स्वीकार कर लिया।

दाभड़कर काका सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर अस्पताल से घर आ गए तथा तीन दिन के बाद एक जवान आदमी को जीवन दान देकर प्रभु चरणों में लीन हो गए !

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