जीवन का अधिकार मौलिक.. सरकार को तय करने का हक नही.. टीकाकरण में आरक्षण पर हाईकोर्ट की आपत्ति
कोरबा/बिलासपुर। एक मई से शुरू हुए 18+ टीकाकरण अभियान में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अंत्योदय व बीपीएल कार्ड धारियों को प्राथमिकता व आरक्षण देने के निर्णय पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने आपत्ति जताते हुए उक्त आदेश को वापस लेकर टीकाकरण के लिए पुनर्विचार करते हुए नई नीति बनाने का प्रदेश सरकार को आदेश दिया है। बता दें कि टीकाकरण में आरक्षण देने के छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले को लेकर आम जनमानस में भारी रोष व्याप्त है। प्रदेश में लॉकडाउन होने के बावजूद जनता का गुस्सा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए सामने आ रहा है और उक्त आदेश का भारी विरोध देखने को मिल रहा है।
प्रदेश सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाई गई थी। कोरबा से अधिवक्ता अंशुल तिवारी समेत अन्य जिलों के अधिवक्ताओं ने उच्च न्यायालय में हस्तक्षेप याचिका दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया कि जीवन का अधिकार सभी का मौलिक अधिकार है। राज्य सरकार को यह निर्णय लेने का अधिकार नहीं है कि किसे पहले टीका लगेगा और किसे बाद में। बीमारी व्यक्ति का धर्म, जात व आर्थिक स्थिति नहीं देखती।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने अधिवक्ता अंशुल तिवारी व अन्य अधिवक्ताओं के तर्कों का संज्ञान लेकर छत्तीसगढ़ सरकार के टीकाकरण में आरक्षण के आदेश पर रोक लगाते हुए प्रदेश सरकार को टीकाकरण हेतु दो दिनों में स्पष्ट नीती बनाने का आदेश दिया है।