पुल निर्माण में पाइप क्षतिग्रस्त, गांव में पानी की आपूर्ति ठप्प
कोरबा 4 जून। इस भीषण गर्मी में जब सबसे ज्यादा पानी की जरूरत होती है, ग्राम चैतमा के लोग प्यास से जूझ रहे हैं। गांव के पास चल रहे पुल के निर्माण कार्य के दौरान जलापूर्ति की पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गई है। इसकी वजह से गांव में पानी की आपूर्ति अवरूद्ध है। ऐसे में गांव के एक हिस्से में पानी की उपलब्धता लगभग ठप हो गई है। इस समस्या का जल्द से जल्द निराकरण की बजाय जवाबदार विभाग व जनप्रतिनिधि बेपरवाह दिखाई दे रहे हैं।
पाली विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत चैतमा के कुछ क्षेत्र पानी की संकट से जूझ रही है। वैसे यहां पानी आपूर्ति के कई संसाधन है पर पीडब्ल्यूडी के निर्माण कार्य के चलते समस्या से जूझना पड़ रहा है। बस्ती से बस स्टैंड जाने वाला तिवरता-चैतमा मार्ग में पुल का निर्माण किया जा रहा है। पुराना पुल को तोड़कर नया बनाया जा रहा है। उसी पुल में जलापूर्ति के लिए पाइप लगाई गई थी। निर्माण कार्य में हुई तोड़-फोड़ की वजह से पाइप क्षतिग्रस्त हो चुकी है और इससे जल की आपूर्ति भी अवरूद्ध हो गई है। पीने के अलावा निस्तारी के लिए गांव के लोग नदी-नाले और तालाबों पर निर्भर रहते हैं। गर्मी के मौसम में उनके सूख जाने के कारण लोग सबसे ज्यादा इस दौरान ही परेशान होते हैं। ऐसे में शासन की योजना के तहत इस मूलभूत जरूरत सुनिश्चित करने की गई कवायद पर विभाग और पंचायत के जनप्रतिनिधियों का लापरवाह रवैया ग्रामीणों के लिए भारी पड़ रहा है।
नाला के पार स्कूल क्षेत्र में एवं बस स्टैंड में रहने वालों को पानी मिलना बंद हो चुका है, तीन माह से पूरे गर्मी में पानी की किल्लत से यहां के रहने वाले त्रस्त हैं। इधर बस स्टैंड वालों का भी यही हाल है, एक मात्र हैंडपंप है और वह भी मुख्य मार्ग में नाली निर्माण के लिए गड्ढा खोदे जाने के दौरान क्षतिग्रस्त हो गया। कार्य के दौरान लगाए गए एक्सिवेटर ने हैंडपंप को क्षतिग्रस्त कर दिया। इसकी वजह से पानी की जरूरत पूरी करने का एक मात्र साधन भी पिछले तीन माह से बंद पड़ा है। इन समस्याओं को दूर करने की बजाय जिम्मेदार विभाग मूक दर्शक बना हुआ है।
गांव में किसी भी प्रकार की समस्या का समाधान निकालने की जवाबदारी ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों की है। पर वे भी निष्क्रियता दिखा रहे। एक ओर भीषण गर्मी पड़ रही है और दूसरी ओर गांव के लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। पानी जैसी मूलभूत जरूरत के लिए लोगों का परेशान होना भी दुर्भाग्यजनक है। इस दिशा में कारगर पहल कर जल्द से जल्द निराकरण के लिए प्रयास करने की बजाय प्रतिनिधि ग्रामीणों की इन समस्याओं से मुंह मोड़कर घोर निद्रा में है। अगर वे पहल करते तो लकड़ी का स्टैंड खड़े कर पानी की आपूर्ति बहाल की जा सकती है।