तमिलनाडु के मंदिरों में गैर ब्राह्मण पुजारी क्यों? आखिर क्या है स्टालिन सरकार की मंशा?
तमिलनाडु 22 जून: तमिलनाडु में एमके स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके को सत्ता में आए अभी 50 दिन भी नहीं हुए हैं कि वहां एक नया विवाद शुरू हो गया है। दरअसल, मुख्यमंत्री बनते ही स्टालिन ने मंदिरों में गैर ब्राह्मणों की नियुक्ति के लिए एक कोर्स शुरू करने का तथा तमिलनाडु हिंदू रिलिजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट डिपार्टमेंट के अधीन आने वाले 36000 मंदिरों में उनकी नियुक्ति की घोषणा कर दी है। हालांकि तमिलनाडु में गैर ब्राह्मणों को मंदिर में पुजारी बनाए जाने का मामला कोई नया नहीं है। हालांकि एमके स्टालिन के इस घोषणा ने कहीं ना कहीं नए विवाद जन्म दे दिया है। भाजपा स्टालिन पर जमकर प्रहार कर रही है। इसके साथ ही संघ परिवार ने भी उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
भाजपा और संघ की ओर से इसे सरकार द्वारा हिंदू भावनाओं को आहत करने का फैसला बताया जा रहा है। हालांकि, विशेषज्ञ भी मानते हैं कि जब सरकार ने अभी ठीक से चलना सीखा नहीं था तो इस तरह के विवादों को मोल नहीं लेना चाहिए था। फिर स्टालिन ने इतनी जल्दबाजी क्यों की? स्टालिन के इस कदम के अलग-अलग तरह से विश्लेषण किए जा रहा हैं। विशेषज्ञ यह भी दावा कर रहे हैं कि डीएमके ने अपमे चुनावी घोषणा पत्र में इन बातों को कहा था। इसके अलावा यह भी कहा जा रहा है कि डीएमके अपने वोट बैंक को मजबूत करना चाहती हैं। डीएमके का वोट बैंक दलित, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक है। यही कारण है कि डीएमके फिलहाल मंदिरों में ब्राह्मण और ऊंची जातियों के लोगों का वर्चस्व कम करना चाहती है। तमिलनाडु में हमेशा ब्राह्मण और उसी जाति के लोग एआईएडीएमके को ही वोट दिया है।
स्टालिन के इस कदम के पीछे दूसरी वजह यह बताई जा रही है कि डीएमके अपने इस कदम से दलित और पिछड़ी जातियों को यह संदेश देना चाहती है कि वह जात-पात और जातिगत भेदभाव के खिलाफ है। वह मंदिरों का प्रबंधन अपने हाथों में परोक्ष रूप से लेना चाहती है। इसमें डीएमके को कोई नुकसान होता दिखाई दे नहीं रहा है। इसके अलावा स्टालिन की सोच यह भी है कि भाजपा के राज्य में पैर पसारने से पहले दलितों को पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया जाए। भाजपा ने हाल में ही वहां अपना अध्यक्ष दलित को बनाया है। भाजपा की नजर दलितों पर है। ऐसे में अगर स्टालिन इन दलितों को पूरी तरह अपने पक्ष में करने में कामयाब हुए तो कहीं ना कहीं भाजपा के लिए यह झटका जरूर होगा।