दुर्लभ बीमारी के इलाज में 18 करोड़ का खर्चा, पीड़ित डेढ़ साल के बच्चे के लिए महज 6 दिन में इकट्ठा किए गए रुपए
कन्नूर 8 जुलाई: केरल के कन्नूर के मट्टूर में रहने वाले दंपति रफीक और मरियुम्मा का डेढ़ साल के बेटे मुहम्मद को जन्म से स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी रोग है. यह एक न्यूरो मस्कुलर डिसऑर्डर है. इससे पीड़ित बच्चा धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगता है और चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है. क्योंकि वह मांसपेशियों की गतिविधियों पर अपना काबू खो देता है.
वहीँ दुर्लभ बीमारी से पीड़ित डेढ़ साल के बच्चे के लिए एक दवा खरीदने को महज 6 दिन में 18 करोड़ रुपए इकट्ठा किए गए. केरल के कन्नूर जिले में रहने वाले बच्चे के लिए ये रकम क्राउंड फंडिंग इनीशिएटिव के तहत एकत्र की गई. केरल और दुनिया भर में रहने वाले प्रवासी भारतीयों ने जी खोल कर क्राउड फंडिंग में बच्चे के लिए डोनेशन दिया.
स्थानीय विधायक एम विजिन के मुताबिक, अब बच्चे के इलाज के लिए पर्याप्त धनराशि जुटा ली गई है और अब आगे डोनेशन की जरूरत नहीं है. विजिन ने डोनर्स से अपील की कि वे अब परिवार के बैंक खाते में और रकम ना भेजें.
डॉक्टरों के मुताबिक, स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी का इलाज जोल्गेन्स्मा नाम के एक इंजेक्शन से ही मुमकिन है. विधायक विजिन के मुताबिक मुहम्मद के इलाज के लिए जरूरी स्पेशल ड्रग जल्दी ही उपलब्ध हो जाएगी. Zolgensma को बाहर से आयात करने में करीब 18 करोड़ रुपए का खर्च आता है. इसे दुनिया की सबसे महंगी ड्रग्स में से एक माना जाता है.
दुर्भाग्य से मुहम्मद की बड़ी बहन आफरा भी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित है. आफरा पिछले 14 साल से व्हील चेयर पर है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर मुहम्मद को दो वर्ष का होने से पहले ही Zolgensma इंजेक्शन दे दिया जाए तो वो इस दुर्लभ बीमारी से उबर सकता है.