कोरबा के धन लोलुपों की नजर अब पर्यटन स्थल सतरेंगा पर
कोरबा 13 जुलाई। नगर के धन-लोलुपों की नजर अब सतरेंगा पर जाकर टिक गयी है। यहां उन्हें रूपये कमाने की अपार संभावनाएं दिखने लगी हैं। इसी वजह से सतरेंगा और उसके आसपास के गांवों में नामी-बेनामी भूमि क्रय-विक्रय का खेल आरंभ हो गया है।
जिले का सतरेंगा गांव इन दिनों छत्तीसगढ़ के पर्यटन मानचित्र पर बड़ी तेजी से अपना स्थान बना रहा है। राज्य शासन ने हसदेव बांगो बांध के डूबाने क्षेत्र के इस गांव को आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है। यहां जल विहार के साथ ही आवासीय सुविधा भी उपलब्ध है। पर्यटन विभाग को यहां की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। आने वाले दिनों में यहां पर्यटकों का लगातार आवागमन होगा, जो एक बड़ा आर्थिक आय का स्त्रोत होगा।
सतरेंगा के बढ़ते महत्व को देखते हुए कोरबा के कुछ धन लोलुप लोगों की नजर यहां टिक गयी है। अपार आय की संभावना को देखते हुए यहां लोगों के नामी-बेनामी भूमि खरीदी आरंभ कर दी है। कोरबा के कुछ जमीन दलाल यहां के रहवासियों को पट्टे पर मिली जमीन के भी खरीदी-बिक्री कराने में जुट गये हैं। बताया जाता है कि कोरबा के चंद लोग यहां पर्यटकों के लिए आकर्षक सुविधाएं विकसित कर चांदी काटने की योजना पर काम कर रहे हैं। सतरेंगा और उसके आसपास के गांवों में पर्यटन से होने वाले लाभ के अलावे लेमरू क्षेत्र में आने वाले कोयला खदान से भी इन धंधेबाजों को लाभ मिलेगा। लेकिन क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति के वन-वासियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। जनजातीय संस्कृति का हास होने के साथ ही अप संस्कृ ति को बढ़ावा मिलेगा। अनेक अनैतिक गतिविधियां शुरू होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि सतरेंगा को पर्यटन केन्द्र के रूप में विक सित करने के साथ शासन ने स्थानीय निवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने की जो योजना बनायी है, वह धंधेबाजों के कारण विफल हो जायेगी। लिहाजा सतरेंगा और उसके आसपास के गांवों में बढ़ते धन लोलुपों की दखल पर नजर रखने और विराम लगाने की जरूरत है।