कोरबाः शराब ख़रीदी-बिक्री में घालमेल का संदेह
अवैध शराब खपाकर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाने की आशंका
कोरबा 23 जुलाई। जिले में मदिरा प्रेमियों को एक ओर जहां मनपसंद ब्राण्ड की शराब नहीं मिलने की शिकायत आम है, वहीं दूसरी ओर जिले के आबकारी अधिकारी द्वारा शराब की आपूर्ति में घालमेल करने का संदेह है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि शराब कंपनियों से सांठ-गांठ कर जिले की मदिरा दुकानों में दो नम्बर की शराब खपाकर शासन को प्रतिमाह लाखों रूपयों की आर्थिक क्षति पहुंचायी जा रही है।
जिले की विदेशी मदिरा दुकानों में लम्बे समय से दो-नंबर की शराब खपाने की चर्चा सुनने में आती रही है। बेमेतरा जिले में बिना होलो ग्राम की शराब पकड़े जाने से इस चर्चा को और अधिक बल मिल गया है। ऊपर से आर. टी. आई. में आबकारी विभाग द्वारा दी गयी जानकारी मामले को और संदिग्ध बना देती है। जिला आबकारी अधिकारी जी. एस. नुरूटी तो शासनादेश को ही नकार रहे हैं, जिससे दाल में काला नहीं समूची दाल के काला होने का संदेह होता है।
राज्य में मदिरा दुकानों को शराब की आपूर्ति के लिए स्पष्ट नियम बने हुए हैं। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा जारी दिशा- निर्देशों के अनुसार शराब दुकानों के सुचारू संचालन और उपभोक्ताओं की मांग के अनुरूप शराब के ब्राण्ड की उपलब्धता के लिए शराब दुकानों में नियुक्त प्रभारी अधिकारी और सुपरवाइजर के द्वारा विभिन्न ब्राण्ड का मांग
पत्र तैयार कर जिला आबकारी अधिकारी को दिया जायेगा। जिला आबकारी अधिकारी जिला प्रबंधक गत सप्ताह हुई विभिन्न ब्राण्ड की शराब की बिक्री के आधार पर संतुलित मांग पत्र तैयार कर छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड के महाप्रबंधक को प्रेषित करेगा। उनके अनुमोदन के बाद जिला प्रबंधक मांग पत्र के अनुरूप शराब मंगवाना सुनिश्चित करेगा।
इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य नवनीत राहुल शुक्ला ने 01 अप्रेल 2019 से 31 मई 2021 तक जिले के शराब दुकानों के मुख्य विक्रयकर्ता द्वारा प्रेषित मांग पत्र और उसके बाद जिला प्रबंधक द्वारा छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड को प्रेषित मांग पत्र का सत्य प्रतिलिपि की मांग की गयी थी।
सूचना का अधिकार के तहत मांगी गयी इस जानकारी के जवाब में उप-महाप्रबंधक छ. ग. स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड के द्वारा बताया गया है कि उक्त संबंध में मांगी गयी जानकारी निरंक है। उन्होंने इसका कारण बताया है कि विदेशी मदिरा की मांग और आपूर्ति ऑन लाईन प्रक्रिया अन्तर्गत है। इसका अर्थ यह हुआ कि दुकान से मांंग पत्र प्राप्त नहीं किया जाता और जिले से राज्य को भी मांग पत्र नहीं दिया जाता? आर. टी. आई. कार्यकर्ता ने इस संंबंध में सहायक आयुक्त आबकारी जी. एस. नुरूटी से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि छ. ग. स्टेट मार्केटिंग कारपोरेशन लिमिटेड की ओर से मांग और आपूर्ति के संंबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है और ऐसे किसी आदेश की कापी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।
यहां लाख टके का सवाल यह है कि तब जिले की मदिरा दुकानों में शराब की आपूर्ति किस आधार पर की जाती है? क्या उपभोक्ताओं की मांग की उपेक्षा कर निहित स्वार्थ साधकर शराब निर्माताओं से मनमाने तरीके से शराब की खरीदी और आपूर्ति की जाती है? उपभोक्ताओं को उनकी पसंद की ब्राण्ड की शराब की आपूर्ति करने में अधिकारियों को क्या परेशानी है? क्या किसी खास शराब कम्पनी की शराब को खपाने के लिए कोई घालमेल किया जाता है? या किन्हीं खास कंपनियों के व्यवसाय को क्षति पहुंचाने के ध्येय से काम किया जाता है?
इस बीच चर्चा यह भी है कि लगभग एक तिहाई शराब की मात्रा का मदिरा दुकानों में कोई लेखा-जोखा नहीं होता। इसका अर्थ यह हुआ कि मदिरा दुकानों में एक तिहाई शराब अवैध रूप से उपलब्ध कराई जाती है और उनकी अवैध रूप से बिक्री कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई जाती है। बेमेतरा में बिना होलोग्राम के शराब पकड़े जाने के बाद यह संदेह और अधिक पुष्ट हो जाता है कि प्रदेश में दो नंबर में शराब की खरीदी-बिक्री हो रही है।
प्रदेश संयोजक भाजपा आरटीआई प्रकोष्ठ विजय शंकर मिश्रा, कोरबा जिला प्रभारी पेशिराम जायसवाल, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य नवनीत राहुल शुक्ला ने कोरबा जिले की सभी मदिरा दुकानों की आकस्मिक जांच कराने और दुकानों में तैनात कर्मियों से पृथक- पृथक पूछताछ कर सच्चाई को सामने लाने की मांग प्रशासन और शासन से की है।