चरामेती फाउण्डेशन पर्यावरण प्रोजेक्ट पर लगायेगी 1 लाख पौधे
कोरबा 1 अगस्त। पर्यावरण को कैसे ठीक रखा जाये इसके लिए विचारमंथन के साथ-साथ योजना पर काम भी किया जा रहा है। इसके अंतर्गत बारिश के मौसम में नदियों के आसपास हरित पट्टिका विकसित की जानी है। योजनाबद्ध रूप से इस पर काम होगा। चरामेती फाउण्डेशन ने पर्यावरण प्रोजेक्ट के तहत कोरबा जिले के तरदा और कनबेरी में हसदेव तट पर बड़ी संख्या में पौधे रोपना तय किया।
चरामेती वृक्ष सेवा अभियान को आगे बढ़ाने का काम इस इलाके में होना है। इसके लिए 7 वर्ष की योजना बनाई गई है। लक्ष्य तय किया गया है कि इस अवधि में कुल मिलाकर 1 लाख पौधे लगाये जायेंगे। इनमें मुख्य रूप से छायादार, फलदार और फूलदार पौधे शामिल होंगे। पौधों को लगाने के साथ-साथ इन्हें संरक्षित करने और सुरक्षा देने पर भी काम होगा। मौसम परिवर्तन के कारण बड़े स्तर पर पड़ रहे प्रभाव और इसके कारण बन रही विपरित परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में काम किया जाना सुनिश्चित किया गया है। चरामेती फाउण्डेशन की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि पर्यावरण का बदला हुआ स्वरूप कुल मिलाकर चिंता का कारण है। इसलिए हर किसी को अपने सरोकार दिखाने होंगे। कोरबा जिले में हसदेव नदी के अलावा क्षेत्रों में भी ऐसे काम किये जाने है। औद्योगिक गतिविधियों के कारण होने वाले प्रदूषण और इससे जन स्वास्थ्य पर असर को नियंत्रित करने के लिए वनाच्छादन बेहद आवश्यक है।
फाउण्डेशन ने वृहद पैमाने पर पौधा रोपने के इस अभियान के लिए नीति बनाई है। इसके हिसाब से काम को पूरा किया जाना है। सरकार के सहयोग से पौधे और जैविक खाद प्राप्त की जायेगी। नर्सरी से पौधों को संबंधित स्थान तक पहुंचा जायेगा। पौधों की सुरक्षा बेहतर ढंग से हो सके इसके लिए ट्रीगार्ड भी लगाये जायेंगे। लोगों को उनके द्वारा गोद लिये गये पौधों की फोटो शेयर की जायेगी।
वरिष्ठ वानिकी वैज्ञानिक डॉ.पवन कौशिक ने काफी समय तक पर्यावरण के क्षेत्र में काम किया। उन्होंने इस मार्ग पर चल रहे लोगों को मार्गदर्शन देने में भी योगदान दिया। कोविड कालखण्ड में उनका निधन हो गया। अधूरे काम को पूरा करने के लिए मिशन शुरू किया गया है। डॉ.पवन के परिजनों और अन्य लोगों ने इस अभियान की सार्थकता के लिए शुरूआती स्तर पर आर्थिक सहयोग दिया है। इससे विभिन्न लोगों को प्रेरणा मिल रही है।