RTI में सूचना नहीं देने पर हो उम्र कैद की सजा: अनिल अग्रवाल
नई दिल्ली 7 अगस्त| केंद्र सरकार को चाहिए कि आर टी आई एक्ट में संशोधन करते हुए जानकारी नहीं देने वाले लोक सेवक को सूचना के अधिकार की धारा 20 – 1 व 20 -2 को संशोधन कर आजीवन – कारावास की सजा मुकर्रर करें। यह कहना है RTI कार्यकर्ता अनिल अग्रवाल का।
अनिल अग्रवाल कहते हैं सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के धारा 20 – 1 , 2 के तहत 250 रुपये प्रतिदिन पेनाल्टी बहुत कम है। वर्ष 2005 से वर्ष 2021 तक कई गुना महंगाई बढ़ गई उसके बावजूद भी पेनाल्टी की रकम ढाई ₹250 प्रतिदिन करना न्याय संगत नहीं है। पेनाल्टी की रकम कम से कम प्रतिदिन ₹ 25,000 और अधिकतम दो करोड़ रुपए होना चाहिए जिससे कि सूचना का अधिकार अधिनियम को मजाक समझने वाले लोगों को जानकारी देने में आनाकानी करने पर तगड़ी सजा दी जा सके।
छत्तीसगढ़ में लोक निर्माण विभाग में 500 करोड़ रुपए से अधिक के आसामी की संख्या लगभग 200 से अधिक है लोक निर्माण विभाग – दुर्ग के अंतर्गत एक ऐसा इंजीनियर है जिसे रोज नए फूलों का खुशबू चाहिए उसके पास अकूत संपत्ति है उसके लिए ₹25000 की पेनाल्टी कोई मायने नहीं रखता।
इसी प्रकार वन विभाग में भी अनेकों ऐसे अधिकारी हैं जिनके पास 500 करोड़ रुपए से अधिक के संपत्ति हैं जिनकी संख्या 300 से अधिक होगी। इन लोगों के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम कोई मायने नहीं रखता वन मंडल महासमुंद का एक लोक सेवक भी प्रतिदिन नए फूलों का खुशबू लेता है। उसके लिए सूचना का अधिकार अधिनियम कोई मायने नहीं रखता इसी तरह दुर्ग वन मंडल से बलौदा बाजार वनमंडल में आए एक लोक सेवक जिसने कभी सूचना का अधिकार अधिनियम में जानकारी नहीं दी उसके लिए भी 25,000 की पेनाल्टी कोई मायने नहीं रखती।
अगर राष्ट्रीय सुरक्षा की बात की जाए तो भी आतंकवादी एवं नक्सलवादियों को जो पैसा पहुंचता है वह भी भ्रष्टाचार का पैसा है अगर सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का कड़ाई से पालन होगा तो नक्सलियों एवं आतंकवादियों के लिए भ्रष्टाचार से मिलने वाला पैसा बंद हो जाएगा जिस कारण देश के अंदर के नक्सली एवं आतंकवादी गतिविधियां अपने आप समाप्त हो जाएगी कश्मीर के अलगाव वादियों को भ्रष्टाचार का ही पैसा विध्वंस पैदा करने के लिए दिया जाता है जिस की सप्लाई चैन तोड़ने के लिए जरूरी है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को कड़ाई से लागू करें। इसके लागू होते ही भ्रष्टाचारी एवं आतंकवादी नक्सली दाने दाने के लिए मोहताज हो जाएंगे। जो लोग इनके जमानत कराने के लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्चा करते हैं उनके पास भी पैसा नहीं रहेगा वे देश विरोधी गतिविधियां बंद कर देंगे, वे देश के अंदर में चल रहे हैं जाति, वर्ग संघर्ष तथा किसान आंदोलन के नाम से देश को स्थिर करने वाले लोगों को भी धन नहीं मिल पाएगा किसान आंदोलन के नाम से दिल्ली के अंदर में जिन लोगों को रोज लाखों करोड़ों रुपए दिए जा रहे हैं उनकी फंडिंग भी बंद हो जाएगी।
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को मजबूत करने की जरूरत है जिससे देश के अंदर के आतंकवादियों, भ्रष्टाचारी अपने आप समाप्त हो जाएंगे क्योंकि सभी समस्या का जड़ भ्रष्टाचार से कमाया हुआ धन है अगर भ्रष्टाचार से कमाया धन नहीं रहेगा तो देश के अंदर में अपने आप कानून का राज स्थापित हो जाएगा इसलिए जरूरी है कि सूचना का अधिकार अधिनियम को सख्त किया जाए और जानकारी नहीं देने वालों को आजीवन कारावास की सजा दी जाए ।