November 21, 2024

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे आद्या शक्ति देवी पार्वती मंदिर का शिलान्यास

सोमनाथ 8 अगस्त। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते एक और मंदिर का शिलान्यास कर सकते हैं. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्मरणीय बाबा सोमनाथ की आद्या शक्ति देवी पार्वती मंदिर का वर्चुअल माध्यम से शिलान्यास होगा. मंदिर के शिलान्यास के साथ प्रधानमंत्री सोमनाथ मंदिर परिसर के चारों ओर बनाए गए परिपथ का लोकार्पण भी करेंगे.

सोमनाथ मंदिर परिसर में 21 करोड़ रुपये की लागत से सफेद संगमरमर से देवी भगवती शक्ति पराम्बा पार्वती के मंदिर निर्माण का शुभारंभ 9 अगस्त को अमांत श्रावण मास की शुरुआत से हो सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सोमनाथ ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं.

सोमनाथ मंदिर अरब सागर के बिल्कुल किनारे है. यहां से लहराते हुए सागर का नजारा बहुत सुंदर लगता है. इसे और दिलकश बनाने के लिए सरकार ने 45 करोड़ रुपये की लागत से सवा किलोमीटर लंबा वॉक वे बनाया गया है. यहां टहलते हुए पर्यटक, श्रद्धालु और स्थानीय लोग मंदिर के दिव्य वातावरण और निसर्ग की गोद का आनंद एक साथ उठा सकते हैं. मंदिर के घंटों की गूंज और सागर की गरज एक साथ.
एक-दो बार नहीं बल्कि सत्रह बार विध्वंस देखने के बाद, आजादी के बाद देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की अगुवाई में 8 मई 1950 को सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण शुरू हुआ. देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 11 मई 1951 को यहां ज्योतिर्लिंग की स्थापना कराई और पहली दिसंबर 1955 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया था. हालांकि मंदिर 1962 में पूरा हुआ.

लेकिन ऐतिहासिक पार्वती मंदिर अभी भी परिसर में खंडहर की शक्ल में है. ये लगभग 15 ऊंचे श्रीयंत्र जैसे चबूतरे की शक्ल में है. मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक ये ऐतिहासिक संरचना इस स्थल की प्रामाणिकता और स्मारक की तरह उसी अवस्था में रखी गई है.

इस मंदिर में स्थापित देवी पार्वती का विग्रह अब भूतभावन भगवान सोमनाथ मंदिर के गर्भगृह में है. सोमनाथ मंदिर परिसर में यज्ञशाला के पास स्थित पौराणिक स्थल पर ही देवी पार्वती मंदिर का निर्माण होगा.

वॉक वे भी मुंबई के मरीन ड्राइव की तरह सागर के किनारे घुमावदार है. इस पर लोग पैदल सैर कर सकेंगे. यहां पर्यटक वो बाण स्तंभ भी देख सकेंगे जो इस स्थान की भौगोलिक खासियत बताता है.

मंदिर के दक्षिण में समुद्र के किनारे एक स्तम्भ है. उसके ऊपर शिखर में एक तीर रखकर संकेत किया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिणी ध्रुव के बीच में पृथ्वी का कोई भू-भाग नहीं है यानी ‘आसमुद्रान्त दक्षिण ध्रुव पर्यंत अबाधित ज्योतिर्मार्ग’. इस स्तम्भ को ‘बाण स्तंभ’ कहते हैं. मंदिर के पृष्ठ भाग में स्थित प्राचीन मंदिर के विषय में मान्यता है कि यह पार्वती जी का मंदिर है. अब इसका ही पुनर्निर्माण होना है.

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