August 20, 2024

बारिश में बही गड्ढे की राख, कोरबा-कुसमुंडा मार्ग फिर से बनी समस्याग्रस्त

कोरबा 21 अगस्त। 200 करोड़ की लागत से महाराष्ट्र के नागपुर की कंपनी को इमलीछापर कुसमुंडा-तरदा फोरलेन सड़क बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। प्राथमिक स्तर का काम शुरू किया गया है। इस बीच मार्ग के सबसे ज्यादा समस्याग्रस्त हिस्से में बारिश ने और दिक्कतें बढ़ा दी है। यहां हुई बारिश के कारण राख की धुलाई होने से अब लोगों को फिर से परेशान होना पड़ रहा है।

काफी समय से यह रास्ता लोगों के लिए मुश्किल भरा साबित हो रहा है। कुसमुंडा और गेवरा-दीपका खदान से कोयला लेकर आने वाले वाहनों के अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट इसी पर निर्भर है। एमओएसटी के प्रावधान से कहीं ज्यादा वजन वाली गाड़ियां इस रास्ते पर दौड़ने से इसकी क्षमता पर सीधा असर पड़ा और बीते वर्षों में सड़क का कबाड़ा हो गया। फिर भी जरूरत के लिए लोग इस रास्ते का उपयोग करते रहे। संकीर्ण सड़क और इसकी जर्जर हालत के कारण अनेक मौकों पर जाम लगने और कई तरह की घटनाएं होने पर अलग-अलग स्तर पर प्रदर्शन किये गए। चौतरफा बन रहे दबाव के बाद साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड ने सीएसआर मद से इस पूरे रास्ते का नवीनीकरण कराने के साथ इसे फोरलेन में परिवर्तित करना तय किया। पिछले वर्ष इसके लिए 200 करोड़ की राशि मंजूर की गई और टेंडर की प्रक्रिया भी पूरी की गई। रास्ते का निर्माण प्राथमिक रूप से शुरू कराया गया है।

सर्वमंगला पुलिस चौकी से लेकर नहर पुल तक का हिस्सा बुरी तरह से जर्जर होने के कारण यहां आवाजाही में समस्याएं पेश आ रही थी। इसे देखते हुए निर्माण इकाई के द्वारा बिजली घरों से निकलने वाली राखड़ को यहां डम्प कराया गया। यह काम टिकाऊ किस्म का नहीं था। नतीजा यह हुआ कि भारी बारिश के कारण राख मौके से बह गई और गड्ढे फिर जस की तस हो गए। अब यहां वाहनों के फंसने के साथ अन्य समस्याएं बनी है।
जिले में अधिकांश सड़कों का हाल एक जैसा है। लोगों को अच्छा एहसास कराने के लिए सीएसईबी चौक से ध्यानचंद चौक रूमगरा तक फोरलेन सड़क बनाई गई है। बीच में कुछ स्थान पर यह संकरी है और इसका काम बचा हुआ है। लोग बताते हैं कि सीएसईबी चौक से रुमगरा पहुंचने में जितना समय लगता हैए उतना ही समय रूमगरा चौक से हसदेव बरॉज पुल को पार करने में जाया होता है। लोक निर्माण विभाग के जिम्मे यह सड़क है। नाम के लिए ही इसे सड़क कहा जा रहा है लेकिन 500 मीटर से ज्यादा के हिस्से में इतने गड्ढे हो चुके हैं कि यहां से वाहनों को चलाना काफी मुश्किल हो रहा है। वाहनों की गति से कहीं ज्यादा पदयात्रा करने वाले चल ले रहे हैं। इस सड़क की दुर्दशा को लेकर पिछले दिनों प्रदर्शन हो चुके हैं लेकिन नतीजा सिफर रहा।

कोरबा जिले को अंबिकापुर जिले से जोड़ने के लिए कम दूरी के मार्ग का सर्वेक्षण और आगे की प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद भी निर्माण कार्य लंबित है। इसके लिए पिछले कई वर्षों से पत्राचार और दूसरे स्तर पर काम होता रहा है। नेताओं के साथ-साथ नागरिकों के द्वारा इस बारे में पूर्ववर्ती सरकारों से लेकर वर्तमान सरकार को पहल की गई। लोगों का कहना है कि इस रास्ते पर 60 से अधिक गांव हैं जो पक्की सड़क बन जाने से दोनों जिलों में आसानी से आवागमन कर सकेंगे। इससे उन्हें जरूरी कार्यों के लिए अनावश्यक खर्च नहीं करना पड़ेगा। बड़ी बात होगी कि उनका कीमती समय बचेगा। लोगों की शिकायत इस बात को लेकर है कि नेतृत्व की कमी के कारण अधिकारी भी इस मामले में मौन साधे हुए हैं। इस चक्कर में कुल मिलाकर जनता परेशान हो रही है।

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